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 सहकारी बैंक प्रमुख प्रबंधकीय कार्य आउटसोर्स नहीं करेंगे: आरबीआई
 मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को सहकारी बैंकों को नीति निर्माण, आंतरिक ऑडिट और केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों के संदर्भ में अनुपालन, कर्ज मंजूरी और निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन जैसे प्रमुख प्रबंधकीय कार्य आउटसोर्स नहीं करने के निर्देश दिये। आरबीआई ने सहकारी बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं के आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि बैंक अनुबंध के आधार पर पूर्व कर्मचारियों समेत विशेषज्ञों को नियुक्त कर सकते हैं, जो कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा। आउटसोर्सिंग से आशय निरंतर आधार पर गतिविधियों को अंजाम देने के लिये तीसरे पक्ष का उपयोग करना है।
 सहकारी बैंक लागत कम करने के साथ-साथ विशेषज्ञों का लाभ लेने के लिये आउटसोर्सिंग का उपयोग बढ़ाते जा रहे हैं। आरबीआई ने कहा कि हालांकि निर्णय के वाणिज्यिक पहलुओं सहित सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए स्वीकृत गतिविधि को आउटसोर्स करने की जरूरत पर विचार करना पूरी तरह से बैंकों का विशेषाधिकार है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप बैंकों को विभिन्न जोखिमों का सामना करना पड़ता है। दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘‘जो सहकारी बैंक वित्तीय सेवाओं के लिये आउटसोर्स का विकल्प चुनते हैं, वे नीति निर्माण, आंतरिक लेखा परीक्षा और अनुपालन, केवाईसी मानदंडों का अनुपालन, ऋण स्वीकृति और निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन सहित मुख्य प्रबंधन कार्यों को आउटसोर्स नहीं करेंगे।'' आरबीआई ने कहा कि दिशानिर्देश सहकारी बैंकों को विभिन्न कार्यों के आउटसोर्सिंग से जुड़े जोखिम को दूर करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय करने में सक्षम बनाने के लिए जारी किए गए हैं।

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