भारत में कारोबार समेटने वाले वैश्विक बैंकों की सूची में अब सिटी भी शामिल
नयी दिल्ली। सिटीबैंक भारत में खुदरा कारोबार से हटने वाले विदेशी बैंकों की कतार में शामिल हो गया है। अमेरिका के प्रमुख बैंक ने बुधवार को अपने उपभोक्ता बैंक कारोबार को 12,235 करोड़ रुपये में एक्सिस बैंक को बेचने की घोषणा की। इससे पहले एएनजेड ग्रिंडलेज, आरबीएस, कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया जैसे वित्तीय संस्थान भारत से अपना कामकाज को धीरे-धीरे कम कर चुके हैं। दोनों बैंक ने कहा कि उसके निदेशक मंडलों ने सिटीबैंक के भारत में उपभोक्ता कारोबार को एक्सिस बैंक द्वारा अधिग्रहण को मंजूरी दे दी। इससे पहले, 2012 में ब्रिटेन के प्रमुख बैंक बार्कलेज ने छोटे एवं मझोले शहरों में स्थित अपनी एक- तिहाई शाखाओं को बंद करके भारत के संचालन को बड़े पैमाने पर कम कर दिया था। भारत में अपने परिचालन को कम करना बार्कलेज की कॉरपोरेट बैंक, निवेश बैंक और संपत्ति प्रबंधन खंडों पर अधिक ध्यान देने की रणनीति का हिस्सा था। कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया 2016 में भारत में अपने कारोबार को समेट लिया था। उसने कहा था कि यह निर्णय भारत के संचालन के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद किया गया है। उसी साल रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड पीएलसी (आरबीएस) ने भी कॉरपोरेट, खुदरा और संस्थागत बैंक कारोबार समेटने का फैसला किया था। बैंक ने वैश्विक स्तर पर कामकाज कम करने के मकसद से यह निर्णय किया था। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड बैंक ने अपनी ग्रिंडलेज बैंक इकाई को स्टैंडर्ड चार्टर्ड को 1.34 अरब डॉलर में बेचने के बाद 2000 में घरेलू परिचालन को बंद कर दिया था। हालांकि, इसने 2011 में मुंबई में एक नई शाखा खोलकर भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश किया। एएनजेड 1984 से ग्रिंडलेज बैंक के रूप में भारत में काम कर रहा था। डॉयचे बैंक 2011 में अपना क्रेडिट कार्ड व्यवसाय इंडसइंड बैंक को बेच दिया। वहीं यूबीएस 2013 में भारतीय परिचालन से हट गया। जबकि मोर्गन स्टेनले ने बैंक लाइसेंस वापस कर दिया जबकि निवेश बैंक कारोबार को जारी रखा। इसी प्रकार, मेरिल लिंच और स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने 2015 में अपने कारोबार को सीमित किया था। इसके अलावा, एएचएसबीसी ने 2016 में दो दर्जन से अधिक शाखाएं बंद कीं और 14 शहरों में अपनी उपस्थिति कम की। बीएनपी परिबा ने 2020 में अपना संपत्ति प्रबंधन कारोबार समेटा।
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