प्रौद्योगिकी आधारित ‘भविष्योन्मुखी कार्यबल' तैयार करने की जरूरत है : धर्मेन्द्र प्रधान
नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रौद्योगिकी आधारित नयी विश्व व्यवस्था की चुनौतियों एवं अवसरों का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि प्रत्यक्ष नकद अंतरण, आधार, यूपीआई जैसे कदमों के जरिये भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है और अब हमें इसके आधार पर ‘‘भविष्योन्मुखी कार्यबल'' बनाने की जरूरत है जो औद्योगिक क्रांति 4.0 से उत्पन्न बदलाव से निपटने में सक्षम हो । केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के निदेशकों की विजिटर कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रधान ने कहा कि देश में यूनिकार्न की बढ़ती संख्या मजबूत होते उद्यमिता के माहौल का परिचायक है । उन्होंने छात्रों को रोजगार मांगने वाला नहीं बल्कि रोजगार प्रदाता बनने का आह्वान किया । शिक्षा मंत्री ने डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाये गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया और शिक्षा को औपनिवेशिक काल से बाहर निकालने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग की जरूरत बतायी । प्रौद्योगिकी आधारित नयी विश्व व्यवस्था की चुनौतियों एवं अवसरों का जिक्र करते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि प्रत्यक्ष नकद अंतरण, आधार, यूपीआई जैसे कदमों के जरिये भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ अब हमें इसके (प्रौद्योगिकी) आधार पर ‘‘भविष्योन्मुखी कार्यबल'' बनाने की जरूरत है जो औद्योगिक क्रांति 4.0 से उत्पन्न बदलाव से निपटने में सक्षम हो ।'' शिक्षा मंत्री ने एलुमनी नेटवर्क को और मजबूत बनाने तथा भारत में पढ़ो कार्यक्रम सहित भारतीय शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में उठाये जा रहे प्रयासों से जुड़ने पर जोर दिया। विजिटर कांफ्रेंस का उद्घाटन मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में किया था ।
इस सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग, अकादमिक संस्थानों एवं उद्योगों के बीच गठजोड़, स्कूलों का संयोजन, उच्च एवं व्यवसायिक शिक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों में बीच शिक्षा एवं शोध जैसे विषयों पर चर्चा हुई । गौरतलब है कि राष्ट्रपति 161 उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों के विजिटर हैं।
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