बहुपक्षीय संस्थानों को प्रासंगिक बने रहने के लिए कदम उठाने होंगेः सीतारमण
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों को महामारी के बाद की दुनिया में प्रासंगिक बने रहने के लिये अब खुद को नए सिरे से व्यवस्थित करने की जरूरत है। सीतारमण ने बहुपक्षीय संस्थानों में सुधारों की जरूरत से संबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि इन संस्थानों को 21वीं सदी के लिहाज से खुद को प्रासंगिक बनाए रखना होगा। एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शिरकत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, "कई ऐसी वैश्विक आपदाएं रही हैं जो वित्तीय क्षेत्र को सीधे तौर पर प्रभावित करती रही हैं। इन आपदाओं ने इस बहस को जरूरी बना दिया है और मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि बहुपक्षीय संस्थान प्रासंगिक बने रहने के लिए अपनी गतिविधियों को नए सिरे से व्यवस्थित करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक विचार करें।" सीतारमण ने ‘रिकैलिब्रेट: चेंजिंग पैराडाइम' शीर्षक वाली किताब के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह किताब वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा ने लिखी है। उन्होंने कहा, ‘‘इस किताब में राजकोषीय परिषद के गठन की सिफारिश की गयी है।
राजकोषीय अनुशासन को और मजबूत करने के लिये राजकोषीय परिषद के गठन का मजबूत मामला बनता है।'' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारों की तरफ से लोगों को मुफ्त उपहार देने के मामले में व्यापक चर्चा की जरूरत है। इस किताब में भी इस मुद्दे का उल्लेख किया गया है। इस मौके पर किताब के लेखक और वित्त आयोग के प्रमुख सिंह ने कहा कि मुफ्त उपहारों के लिए बजट में पारदर्शी ढंग से प्रावधान किए जाने चाहिए। वहीं सह-लेखक और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव मिश्रा ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि पर खास तौर पर ध्यान देना आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
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