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 एसएंडपी ने 19 साल बाद भारत की साख को बढ़ाकर ‘बीबीबी' किया

 नयी दिल्ली/ साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ बढ़ाकर ‘बीबीबी' कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और महंगाई को काबू में लाने के लिए बेहतर मौद्रिक नीति उपायों का हवाला देते हुए 19 साल बाद भारत की रेटिंग बढ़ायी है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है...पिछले पांच-छह साल में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।'' एसएंडपी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी शुल्क का असर प्रबंधन के दायरे में होगा। भारत पर अगर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया जाता है तो इससे वृद्धि पर कोई बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है। एजेंसी ने कहा, ‘‘भारत व्यापार पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है और इसकी लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से आती है।'' अमेरिकी एजेंसी की रेटिंग में यह सुधार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था' कहे जाने के कुछ दिन बाद आया है। ट्रंप ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अबतक का सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। साख में सुधार से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय कंपनियों के लिए कर्ज की लागत में कमी आएगी। एसएंडपी ने जनवरी 2007 में भारत को सबसे निचले निवेश स्तर की रेटिंग ‘बीबीबी-' दी थी। यह किसी वैश्विक रेटिंग एजेंसी द्वारा साख में पहला सुधार है जिसमें भारत को सबसे निचले निवेश स्तर से एक पायदान ऊपर की रेटिंग दी गयी है। ‘बीबीबी' निवेश स्तर की रेटिंग है और यह देश की अपने कर्ज दायित्वों को आसानी से चुकाने की बेहतर क्षमता को बताती है। एसएंडपी ने पिछले साल मई में भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर' से बदलकर ‘सकारात्मक' कर दिया था। साथ ही संकेत दिया था कि अगले 24 महीनों में रेटिंग में सुधार हो सकता है। एसएंडपी ने भारत की रेटिंग में सुधार करते हुए कहा, ‘‘भारत की साख में सुधार, महंगाई पर अंकुश लगाने वाले बेहतर मौद्रिक नीति परिवेश के साथ मजबूत आर्थिक वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है। राजकोषीय मजबूती के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और व्यय की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों के साथ हमारा मानना है कि ये चीजें मिलकर ‘क्रेडिट' के मोर्चे स्थिति बेहतर बना रही हैं।'' एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालीन ऋण साख को ‘बीबीबी-' से बढ़ाकर ‘बीबीबी' और अल्पकालिक रेटिंग को ‘ए-3' से बढ़ाकर ‘ए-2' कर दिया है। स्थिर परिदृश्य एसएंडपी के इस विचार को दर्शाता है कि नीतियों के मोर्चे पर निरंतर स्थिरता और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में उच्च निवेश भारत की दीर्घकालीन वृद्धि संभावनाओं को बढ़ावा देंगे। इसके साथ ही सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अगले 24 महीनों में रेटिंग को मजबूत बनाएगी। ये नीतियां सरकार के बढ़े हुए कर्ज और ब्याज के बोझ को कम करती है। भारत की कमजोर राजकोषीय स्थिति हमेशा से ही उसकी साख के लिए सबसे कमजोर पहलू रही है।
एसएंडपी ने कहा, ‘‘अब जब आर्थिक पुनरुद्धार अच्छी तरह से पटरी पर है, सरकार राजकोषीय मजबूती के लिए एक अधिक ठोस रास्ता पेश कर सकती है।'' रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में सामान्य सरकारी घाटा (केंद्र एवं राज्य सरकारों का संयुक्त रूप से) सकल घरेलू उत्पाद के 7.3 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2028-29 तक 6.6 प्रतिशत हो जाएगा। एसएंडपी ने कहा, ‘‘भारत का महामारी के निचले स्तर से उबरना इसे दुनिया की सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाता है। आर्थिक विस्तार अच्छी गति के साथ अधिक टिकाऊ स्तर की ओर बढ़ रहा है और यह स्थिति सामान्य हो रही है। हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता और सार्वजनिक निवेश की मजबूती वित्त वर्ष 2025-26 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत और अगले तीन साल में औसतन 6.8 प्रतिशत तक पहुंचाएगी।''

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