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 मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कम्पनियों के लिए ऐथनॉल खरीद प्रणाली को मंजूरी दी
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के लिए एथेनॉल खरीद की प्रणाली को मंजूरी दे दी है। 
नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि पहले देशभर में एथेनॉल का एक ही दाम हुआ करता था, मगर अब इसके अलग-अलग दाम होंगे। उन्होंने कहा कि चीनी से बने एथेनॉल के नए दाम 62 रूपये 65 पैसे प्रति लीटर होंगे जबकि शीरे यानी बी-हैवी मोलासेस से बने एथेनॉल के 57 रूपये 61 पैसे और सी-हैवी मोलासेस के 45 रूपये उनहतर पैसे प्रति लीटर तय किए गये हैं। इसके अलावा, एथेनॉल पर जीएसटी और परिवहन शुल्क का भी भुगतान करना होगा। स्थानीय उद्योगों को अवसर उपलब्ध कराने और एक राज्य से दूसरों राज्यों को एथेनॉल लाने-जाने को कम से कम करने की भी विधेयक के मसौदे में व्यवस्था दी गई है। तेल विपणन कंपनियां इस बात का फैसला करेंगी कि वे परिवहन लागत और उपलब्धता के आधार पर एथेनॉल के किस स्रोत को प्राथमिकता देती हैं। 
 सरकार, पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रित करने के कार्यक्रम पर चरणबद्ध तरीके से अमल कर रही है। इसके अंतर्गत तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल में दस प्रतिशत एथेनॉल मिलाती हैं। इस कार्यक्रम को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप को छोड़कर समूचे देश में पहली अप्रैल-2019 से लागू किया जा रहा है ताकि वैकल्पिक तथा पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढावा मिले।
 श्री जावडेकर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने पैकेजिंग में जूट के बोरों के अनिवार्य रूप से इस्तेमाल के नियमों के विस्तार को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न की शत-प्रतिशत पैकेजिंग जूट के बारों में करनी होगी जबकि चीनी के मामले में 20 प्रतिशत को ही जूट के बोरों में पैक करना अनिवार्य होगा। श्री जावडेकर ने कहा कि चीनी को विभिन्न प्रकार के जूट के बोरों में पैक करने के फैसले से पटसन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। निर्णय के अनुसार शुरूआत में जूट बोरों के लिए दस प्रतिशत की बोली जेम पोर्टल के जरिये लगाई जा सकेगी। इसके बाद इसमें धीरे-धीरे बढोतरी की जाएगी। सरकार ने 1987 के पटसन, पैकेजिंग सामग्री अधिनियम के अंतर्गत पटसन के बोरों में अनिवार्य रूप से पैकेजिंग के मानदंडों का दायरा बढा दिया है। श्री जावडेकर ने बताया कि इस फैसले से देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों, खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिसा, आंध्रप्रदेश, असम, मेघालय और त्रिपुरा के किसानों और कामगारों को फायदा होगा।
 जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बाहरी सहायता से बने बांधों के पुनर्वास और सुधार की परियोजनाओं के  दूसरे और तीसरे चरण को भी मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत विश्व बैंक और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक, सुरक्षा और संचालन संबंधी सुधार के लिए चुने हुए बांधों को धन उपलब्ध कराएंगे। इसके अंतर्गत अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक लागू की जाने वाली परियोजनाओं पर 10 हजार दो सौ 11 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जाएगी। कुल परियोजना लागत में से 7 हजार करोड़ रूपये विदेशी सहायता से प्राप्त होंगे जबकि शेष तीन हजार 211 करोड रूपये अमल करने वाली एजेंसियां उपलब्ध कराएंगी। केंद्र सरकार का अंशदान एक हजार 24 करोड़ रूपये का होगा।

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