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 सौर सुजला योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो रही मजबूत

 - कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन में कारगर

- सौर सुजला योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मिल रही मदद
राजनांदगांव । सौर सुजला योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कृषकों की सिंचाई आवश्यकता हेतु सोलर सिंचाई पंपों की स्थापना करना है। सोलर पंप के उपयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिलेगी। सौर सुजला योजना उन कृषकों के लिए हितकर एवं लाभदायी है, जिसके पास कृषि भूमि उपलब्ध होते हुए भी सिंचाई हेतु उचित व्यवस्था नहीं होती है या कृषक के खेत तक विद्युत विस्तार लाईन का व्यय अत्यधिक होने के कारण वहन नहीं करने की स्थिति में केवल मानसून पर ही निर्भर रहते है। ऐसे कृषक अपने कृषि भूमि के निकट नदी, नाला एवं अन्य जल स्त्रोत उपलब्ध होने पर डीजल व केरोसीन पंप स्थापित कर सिंचाई हेतु जलापूर्ति करते हैं या तो जलस्त्रोत उपलब्ध नहीं होने पर वर्षा का इंतजार करते हंै। समय पर वर्षा नहीं होने के कारण कृषकों की फसल बर्बाद हो जाती है, जिससे कृषक आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते है व उनके परिवारों के सामने भरण पोषण की विकराल समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन की पहल एवं वित्तीय सहयोग से क्रेडा द्वारा राज्य एवं जिले के ऐसे कृषकों जो वर्षों से विद्युत विभाग (सीएसपीडीसीएल) से विद्युत आपूर्ति की लागत अधिक होने के कारण पंप के लिए बिजली प्राप्त नहीं कर पा रहे थे के यहां बोर, कुंआ या ऐसे जल स्त्रोतों जहां पर्याप्त मात्रा में सरफेस वाटर उपलब्ध है। वहां सौर सुजला योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप का स्थापना कार्य किया जा रहा है।
सौर सुजला योजना से किसानों को बड़ी राहत मिली है व आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहे हैं। किसानों को विद्युत हेतु किसी भी प्रकार का बिजली बिल नहीं देना पड़ रहा है जिससे किसानों को अनावश्यक खर्चों से मुक्ति मिली है। सोलर पंप स्थापना से शासन की करोड़ों रूपए की बिजली की बचत हो रही है व जमीन के दोहन, कोयला की बचत एवं कोयले की जलने से उत्सर्जित होने वाले कॉर्बन डाईऑक्साईड धुंए से मुक्ति मिल रही है। योजना अंतर्गत हितग्राही का चयन कृषि विभाग द्वारा किया जाता है। पंप की क्षमता तथा हितग्राहियों के संवर्ग के अनुसार हितग्राहियों द्वारा देय अंशदान की राशि 3 एचपी क्षमता हेतु प्रोसेसिंग शुल्क सहित अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए 10000, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15000 एवं सामान्य वर्ग के लिये 21000 रूपए है। इसी प्रकार 5 एचपी क्षमता हेतु प्रोसेसिंग शुल्क सहित अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए 14800, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 19800 एवं सामान्य वर्ग के लिए 24800 रूपए है।
इस योजना के बाद किसानों को विद्युत हेतु किसी भी प्रकार का बिजली बिल नहीं देना पड़ेगा। जिससे सरकार को बिजली बचत करने में भी मदद मिलेगी व किसानों को अनावश्यक खर्चों से मुक्ति मिलेगी। पंप स्थापित करने से कृषकों को औसत लगभग प्रतिमाह 360 से 600 यूनिट अर्थात वर्ष में 4300 से 7200 यूनिट तक की बिजली की बचत होती है। जिसकी अनुमानित बचत राशि प्रतिवर्ष 17200 से 28800 तक होगी अर्थात लगभग 3440 से 5760 किलो कोयला की बचत एवं कोयले के जलने से उत्सर्जित होने वाले कॉर्बन डाईऑक्साईड धुंए से मुक्ति मिलेगी। जिले को 400 नग सोलर पंप स्थापना हेतु लक्ष्य आबंटन हुआ है। सोलर सिंचाई कृषि पंप स्थापना हेतु आवेदन प्राप्त किये जा रहे है। कृषक नजदीकी कृषि विभाग के विकासखण्ड कार्यालय एवं सीधे क्रेडा जिला कार्यालय में अपना आवेदन जमा कर सकते हंै।

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