मेहनत, भरोसे और किसान हितैषी योजनाओं ने भूरी बाई को बनाया आत्मनिर्भर
बिलासपुर। बहतराई गांव की महिला किसान श्रीमती भूरी बाई ने सीमित संसाधनों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच खेती कर आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल की है। पारिवारिक दायित्वों के बीच खेती जैसा अथक श्रम का काम करना चुनौतीपूर्ण रहा। लेकिन कड़ी मेहनत और सरकार से मिल रहे सहयोग ने उनकी राह आसान बना दी और वे अब आर्थिक रूप से न केवल सशक्त बन चुकी हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा दे रही हैं।
इस वर्ष भूरी बाई ने पूरे परिश्रम और लगन से धान की खेती की। फसल तैयार होने के बाद उन्होंने 38 क्विंटल धान सहकारी समिति के माध्यम से बेचा। धान विक्रय प्रक्रिया को लेकर उनके मन में पहले आशंकाएं थीं, लेकिन टोकन कटने से लेकर तौल और भुगतान तक सभी कार्य पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से पूरे हुए। कहीं कोई भटकाव नहीं, न ही किसी तरह की परेशानी।
सबसे बड़ी राहत तब मिली जब धान बिक्री की राशि कुछ ही दिनों के भीतर सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो गई। मेहनत की कमाई समय पर मिलने से भूरी बाई काफी खुश है। अपनी मेहनत की कमाई निकालने के लिए वे सरकंडा स्थित सहकारी बैंक पहुंचीं,जहां उन्हें सम्मान और सहयोग के साथ सेवा मिली और राशि आहरण में कोई दिक्कत नहीं हुई। भूरी बाई बताती हैं कि इस प्राप्त राशि से वे अपने घर की मरम्मत कार्य करवाएंगी। भूरी बाई कहती है किसान हितैषी योजनाओं और पारदर्शी व्यवस्था ने छोटे किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है। उन्हें किसान सम्मान निधि का भी लाभ मिल रहा है जिससे उन्हें खेती किसानों के खर्च में मदद मिल जाती है। सरकार द्वारा 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी से वे खुद को पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर महसूस कर रही हैं।भूरी बाई प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार जताते हुए कहती है कि सरकार की नीतियों और योजनाओं ने किसानों को सम्मान, सुरक्षा और समय पर मेहनत का फल दिया है।









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