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 महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क बना ग्रामीणों के स्वरोजगार एवं आय का महत्वपूर्ण जरिया
-78 लाख 06 हजार रुपये से अधिक की राशि की विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से अब तक 10 लाख 62 हजार 170 रुपये की हुई आमदनी
-जिले के सभी 11 स्थानों में ग्रामीणों को मिल रहा है उनके रूचि का स्वरोजगार
बालोद। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर ग्रामीणों को उनके गांव के आसपास ही रोजगार का कारगार माध्यम उपलब्ध कराने हेतु शुरू की गई महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क ग्रामीणों के लिए उनके गांव के आसपास स्वरोजगार प्रदान करने का महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। जिले के सभी विकासखण्डों के कुल 11 स्थानों पर ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना होने से ग्रामीणों को अब रोजगार की तलाश में बड़े शहरों एवं अन्य स्थानों पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। अब उन्हें आसानी से उनके गांव तथा आसपास के गांव में उनके रूचि और कौशल के आधार पर स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा बालोद जिले के सभी 11 गौठानों में 78 लाख 06 हजार 106 रुपये की लागत से संचालित की जा रही आजीविका मूलक गतिविधियों के अंतर्गत विभिन्न उत्पादों की बिक्री से अब तक कुल 10 लाख 62 हजार 170 रुपये की आमदनी भी हो चूकी है।
 ज्ञातव्य हो कि बालोद विकासखण्ड के ग्राम बरही में संचालित गोबर पेंट ईकाई से अब तक कुल 07 हजार 940 लीटर गोबर पेंट का उत्पादन किया गया है। इस गोबर पेंट का उत्पादित मूल्य 17 लाख 86 हजार 500 रुपये है। इसमें से अब तक 03 हजार 469 लीटर गोबर पेंट की बिक्री की जा चूकी है, जिसका विक्रय मूल्य 07 लाख 80 हजार 525 रुपये है। इस गोबर पेंट इकाई से अब तक कुल 02 लाख 42 हजार 830 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ है। इसी तरह बालोद विकासखण्ड के करकाभाट ग्रामीण औद्योगिक पार्क में कूलर एवं अलमारी निर्माण यूनिट की स्थापना की गई है। जिसमें अब तक 72 नग अलमारी और कूलर 70 नग का निर्माण किया गया है। जिसका उत्पादित मूल्य 05 लाख 02 हजार 900 रुपये है। जिसमें 62 अलमारी एवं 55 कूलर की बिक्री भी की जा चूकी है। जिसका विक्रय मूल्य 04 लाख 39 हजार 900 रुपये हैै। इस तरह कूलर एवं अलमारी की बिक्री से 65,000 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ है। इसी तरह गुरूर विकासखण्ड के ग्रामीण औद्योगिक पार्क भोथली में गुड़ प्रोसेसिंग, एलोवीरा प्रोसेसिंग, लेमन ग्रास प्रोसेसिंग, सेवा गतिविधि बैकिंग यूनिट की स्थापना की गई है। जिसमें लेमन ग्रास प्रोसेसिंग यूनिट से 20़6 लीटर उत्पादन किया गया है। जिसमें सभी 206 लीटर उत्पाद की बिक्री भी की जा चूकी है। जिससे 89,000 हजार रुपये का लाभ भी अर्जित हुआ है। इसी तरह डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम अवारी में संचालित चिक्की निर्माण यूनिट में 15 टन चिक्की का निर्माण किया गया है। जिनका उत्पादित मूल्य 37 लाख 50 हजार रुपये है। जिसमें से 14 टन चिक्की की बिक्री भी की जा चूकी है। जिसका विक्रय मूल्य 35 लाख रुपये है। जिससे 04 लाख 50 रुपये की आमदनी प्राप्त हुई है। डौण्डी लोहारा विकासखण्ड के ग्रामीण औद्योगिक पार्क नंगूटोला में मसाला निर्माण यूनिट, लेयर मूर्गी पालन, वांशिग पाउडर निर्माण यूनिट एवं बैकिंग सेवा गतिविधियां संचालित की जा रही है। इसी तरह गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्रामीण औद्योगिक पार्क गब्दी में कोदो प्रोसेसिंग यूनिट, वर्मी कम्पोस्ट बोरी प्रिटिंग यूनिट, अगरबत्ती निर्माण यूनिट, सेवा गतिविधि बैकिंग निर्माण एवं नाॅन कूकेन बैग निर्माण यूनिट तथा ग्रामीण औद्योगिक पार्क कांदुल में पापड़ निर्माण, मुरमुरा एवं अगरबत्ती निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह से गुरूर विकासखण्ड के छेड़िया औद्योगिक पार्क में मूनगा प्रोसेसिंग यूनिट, बनाना फाइबर एक्सट्रैशन यूनिट की स्थापना की गई है। डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के मार्री बंगला औद्योगिक पार्क में एपरेल, डोरमेंट एवं कपड़ा यूनिट की स्थापना की गई है। डौण्डी विकासखण्ड के अमूरकसा ग्रामीण औद्योगिक पार्क में बेकरी यूनिट तथा गुदुम ग्रामीण औद्योगिक पार्क में हाउस होर्ड क्लीनिंग मटेरियल यूनिट, बास गुड़ी एवं स्क्रबर निर्माण का कार्य किया जा रहा है। 
बालोद जिले में संचालित सभी 11 महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क में 140 महिला एवं 75 पुरूष सहित कुल 215 उद्यमी कार्यरत है। जिनके द्वारा एक माह के अल्प अवधि में ही 78 लाख 06 हजार 106 रुपये की सामग्रिया निर्मित कर 56 लाख 80 हजार 875 रुपये की राशि की सामग्री की बिक्री गई है। जिससे उन्हें शुद्ध 10 लाख 62 हजार 170 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ है। जिससे 9,908 रुपये की प्रति व्यक्ति औसत आय प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही 107 हितग्राहियों को लाभांश भी प्रदान कर दिया गया हैै। इस तरह से बालोद जिले में स्थापित की गई ग्रामीण औद्योगिक पार्क मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप ग्रामीणों को अपने गांव में ही रोजगार प्रदान कर उनकी आय में वृद्धि करने का महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। जो राज्य शासन द्वारा ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाकर गांवों को विकसित करने की परिकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। 

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