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 एक अनबूझ पहेली रेखा....
 जन्मदिन पर विशेष- आलेख मंजूषा शर्मा
 हाल ही में अभिनेत्री रेखा उर्फ भानुप्रिया अपने खास अंदाज में एक टीवी चैनल के नए सीरियल को प्रमोट करती नजर आईं, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे क्या इस सीरियल में काम करने जा रही हैं या केवल प्रमोटर हैं। खैर आज हम सब की प्यारी और खूबसूरत रेखा 66 साल की हो गई हैं। उन्हें देखकर लगता है कि उनके लिए उम्र का बढऩा महज एक संख्या है। उनकी लगातार बढ़ती खूबसूरती के आगे उम्र भी नतमस्तक है। वे कमाल की अभिनेत्री, डांसर,  शायरा और गायिका हैं। उनके गायन का कमाल कभी -कभार टीवी रियलिटी शो में या फिर किसी फिल्म आधारित पुरस्कार समारोह में देखने को मिल जाता है और लोग उनकी इस अदा के भी दीवाने हो जाते हैं। वे एक ऐसी अदाकारा हंै जिसका बॉलीवुड में शायद कोई सानी नहीं है। रेखा की जि़ंदगी का फलसफा ही कुछ ऐसा है कि हर कोई उन्हें समझना चाहता है।
66 साल की उम्र में भी रेखा बहुत स्टाइलिस्ट हैं। वेस्टर्न ड्रेस में वे जितनी आकर्षक लगती हैं, तो साड़ी में और भी खूबसूरत नजर आती हैं। सिल्क की साड़ी के साथ पारंपरिक ज्वैलरी, बालों में गजरा, मांग में सिंदूर, डार्क लिपिस्टिक,  बात करने की एक खास तहजीब और अदा की चाशनी, उनके सामने आने वाला हर इंसान उनका मुरीद हो जाता है। हर समारोह में रेखा एक सुहागन की तरह  एंट्री मारती हैं। यही वजह है जो हर इवेंट में हर किसी की निगाहें केवल रेखा पर ही जा टिकती हैं। रेखा की रहस्यमयी निजी जिंदगी को जानने की उत्सुकता आज भी लोगों में है। 
  जब भी रेखा मांग में सिंदूर लगाती हैं फैंस उनसे तरह-तरह के सवाल पूछने लग जाते हैं।   फैंस अक्सर रेखा से ये जानना चाहते हैं कि वह अपनी मांग में किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं।   बॉलीवुड स्टार ऋषि कपूर और नीतू कपूर की शादी में पहली बार रेखा मांग में सिंदूर लगाए नजर आई थीं।  रेखा की मांग में सिंदूर देखकर शादी में मौजूद सभी मेहमान हैरान हो गए थे और उनकी आंखों में केवल एक ही प्रश्न था कि कौन है वो खुशनसीब? आज भी रेखा वैसे ही नजर आती हैं।  हालांकि रेखा ने कभी अपने बारे में हो रही बातों पर ध्यान नहीं दिया और न ही इसका कभी खुलासा किया कि वे किसके नाम का सिंदूर भरती हैं।
10 अक्टूबर 1954 को तमिल परिवार में जन्मीं भानुप्रिया यानी रेखा के मां -पिता दोनों ही अभिनय जगत से जुड़े हुए थे। 12 साल की उम्र में आई रंगुला रत्नम उनकी पहली फिल्म थी जिसे बाद में 1976 में रंगीला रतन के नाम से दोबारा हिन्दी में भी बनाया गया। मुंबई आने और हिन्दी फिल्मों में कदम रखने से पहले रेखा ने एक तेलुगू और एक कन्नड़ फिल्म की। वर्ष 1970 में आई सावन भादो उनकी पहली हिन्दी फिल्म थी। उनके पहले हीरो नवीन निश्चल थे।
 शुरुआत में   सांवली-सलोनी रेखा अपने भारी शरीर और हिन्दी बोलने में सहज ना होने की वजह से हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में नोटिस नहीं की गई।  हालांकि इसके बाद उनकी काया पलट हुई। ना सिर्फ उन्होंने वजन कम किया बल्कि हिन्दी और उर्दू में भी पकड़ बनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया। तभी तो मुजफ्फर अली ने जब उमराव जान फिल्म बनाने का विचार किया, तो उनके जेहन में लीड रोल के लिए एक ही नाम था और वो रेखा थीं। फिल्म की सफलता में रेखा की मौजूदगी सबसे बड़ा कारण बनी। 
रेखा ने हिन्दी सिनेमा में कला और व्यावसायिक दोनों ही तरह की फिल्में कीं और शोहरत पाई।  अभिनय में नयापन और विविधता ने बहुत जल्द उन्हें हिन्दी सिने जगत की सबसे कामयाब अभिनेत्रियों में शामिल कर दिया।   
 रेखा का निजी जीवन विवादास्पद ही रहा। अभिनेता विनोद मेहरा के साथ उनकी कथित शादी बहुत दिन तक नहीं चल सकी। एक इंटरव्यू में रेखा ने इस शादी से साफ इनकार किया। बहरहाल इसके बाद उन्होंने व्यापारी मुकेश अग्रवाल से शादी की, लेकिन इस शादी का अंत तलाक से हुआ ।  बाद में मुकेश अग्रवाल ने आत्महत्या कर ली। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ भी उनके प्रेम संबंध के किस्से हमेशा सुर्खियों में रहे। कहा जाता है कि रेखा आज जैसी दिखती हैं उसमें अमिताभ बच्चन का बड़ा योगदान है। सन् 1976 में आई फि़ल्म दो अनजाने में उन्होंने अमिताभ के साथ काम किया। ये भी कहा जाता है कि रेखा सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से बहुत प्यार करती थीं, लेकिन उनकी ये मोहब्बत कभी पूरी नहीं हो सकीं।  जब अमिताभ और रेखा के इश्क के चर्चें आम थे, तब एक दिन जया ने अमिताभ की अनुपस्थिति में रेखा को घर बुलाया और उनकी बहुत खातिरदारी की। रेखा को विदा करते समय उन्होंने सिर्फ यही कहा कि वे अमित से बहुत प्यार करती हैं और उन्हें कभी नहीं छोड़ेंगी।  अमिताभ को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने रेखा से दूरी बना ली और रेखा ने भी यही रास्ता अपनाया।  बाद में उनकी त्रिकोणात्मक प्रेम कहानी पर यश चोपड़ा ने फिल्म सिलसिला बनाई और इसमें अमिताभ, जया , रेखा, शशिकपूर और संजीव कुमार को लीड रोल में लिया। संबंधों में आई तमाम कडु़वाहट के बाद भी रेखा और जया ने एक साथ ये फिल्म की। 
 
 
  रेखा आज भी कभी भी दोपहर 2 बजे से पहले अपनी कोई तस्वीर नहीं खिंचवाती हैं। उनका मानना था कि सुबह के समय चेहरे पर एक अलग तरह की सूजन रहती है, जो करीब एक बजे तक चली जाती है।  इस समय रेखा अपनी सेक्रेटरी फरजाना  के साथ मुंबई में बांद्रा स्थित अपने बंगले में रहती हैं। फिल्मी दुनिया के कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकीं रेखा को भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है। 
रेखा ने अपने सालों लम्बे कॅरिअर में लगभग 175 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर छा गई। रेखा ने जिंदगी को अपनी शर्तों पर जिया है और यह कहा जा सकता है कि उन्हें अपनी जिंदगी से शायद ही कोई शिकायत होगी। उन्होंने जिस वक्त जो चाहा, वो काम किया और कभी इस बात की परवाह नहीं कि लोग क्या कहेंगे।  
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