ब्रेकिंग न्यूज़

 धमधा का प्रसिद्ध दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर- जहां देवीरूप में विराजमान हैं वीर हनुमान
- अहिरावण वध की याद दिलाती है वीर हनुमान की प्रतिमा
- गोविन्द पटेल,  धमधा रायपुर
 धमधा (दुर्ग)। तुलसीदास कृत रामचरित मानस के लंकाकांड में एक प्रसंग है, अहिरावण वध। जी हां, धमधा के दक्षिणमुखी हनुमान की प्रतिमा उसी अहिरावण वध के प्रसंग पर आधारित है। रावण के सभी वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए, जिसके बाद उसने पाताल लोक के अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण अपनी माया से विभीषण का भेष धारण कर राम के युद्ध छावनी में पहुंच गए और अपनी शक्ति से अंधेरा करके राम-लक्ष्मण को उठाकर पाताल लोक ले गए। 
 जब छावनी में राम-लक्ष्मण नहीं मिले तो सभी चिंतित हुए। उस समय वीर हनुमान ने बताया कि विभीषण जी रात में राम-लक्ष्मण के पास गए थे। तब विभीषण कहते हैं कि मेरा रूप धरने की कला अहिरावण के पास ही है, वही राम-लक्ष्मण को उठाकर ले गया होगा। उसके बाद वीर हनुमान पाताल लोक जाते हैं, वहां उनके पुत्र मकरध्वज से युद्ध लड़ते हैं फिर अहिरावण के हवन को देखते हैं। उसी समय फूलों के जरिए हनुमान अहिरावण की कुलदेवी के पास पहुंचकर देवीरूप बना लेते हैं और अहिरावण के पूजा में चढ़ाए वस्तुएं ग्रहण कर लेते हैं।  जब राम-लक्ष्मण को देवी के पास बलि के लिये लाया जाता है तो अहिरावण कहते हैं कि अपने ईष्टदेव को आखिरी बार याद कर लो। तब राम कहते हैं कि राक्षसों तुम्हारा अंतिम समय आ चुका है, अब तुम्हारा नाश तुम्हारी कुलदेवी ही करेगी। इसके बाद वीर हनुमान सभी राक्षसों पर टूट पड़ते हैं।
 उस प्रसंग में राक्षस कहते हैं कि
 निशिचर सकल त्रसित में भारी, कहहिं बचन भय हृदय विचारी।
 अहिरावण भल कीन्ह न काजू, आने कपट वेष सुरराजू।।
 अर्थात् पाताल लोक के सभी राक्षस सोचते हैं कि हमारे राजा अहिरावण में कपटवेश धारण कर राम-लक्ष्मण को हर लाये। इसीलिये हमारी देवी रूठ गई है। अहिरावण का वध वीर हनुमान ने इसी देवीरूप में की थी, जिसकी प्रतिमा धमधा के बजरंग चौक स्थित हनुमान मंदिर में प्रतिष्ठित है।
 इसका अर्थ यह दावा करने का नहीं है कि यह मूर्ति रामायण काल की है, बल्कि यह प्रतिमा उस घटना की याद दिलाती है और वीर हनुमान के देवीरूप को दर्शाता है।
 इस प्रतिमा को धमधा के अलबख्सा तालाब के पास खेत से प्राप्त की गई थी। आज भी उस खेत को खाली छोड़कर रखा गया है। यहां पहले पुजारी ब्रम्हचारी जी महाराज हुए। उन्होंने इस मंदिर की ख्याति और गरिमा को अनूठी प्रतिष्ठा दिलाई। पुजारी का आकलन है कि पूरे भारत में हनुमान जी की देवीरूपी प्रतिमा कहीं देखने-सुनने को नहीं मिलती, केवल यहीं हनुमान जी देवी रूप में हैं। खड्ग और खप्पर है, जो देवी के भूषण हैं।
 
 
-

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english