किशोर कुमार के कुछ बेहतरीन नगमें....जो आज भी हैं लोगों की जुबां पर
जयंती पर विशेष
आलेख- मंजूषा शर्मा
महान गायक, संगीतकार, फिल्मकार और अभिनेता किशोर कुमार ने एक से बढ़कर एक गाने दिए हैं। कलाकारों की कई पीढिय़ों के लिए उन्होंने गाना गाया है। उनकी आवाज यदि सुनील दत्त पर अच्छी लगी तो उनके बेटे संजय दत्त के लिए भी उन्होंने गाने गाए। यदि वे आज जीवित होते तो नए युवा कलाकारों के लिए भी गा रहे होते, क्योंकि उन्होंने तो जैसे सिर्फ फिल्मों में गाने और अभिनय करने के लिए ही जन्म लिया था।
आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनके गाए कुछ हिट गाने हम यहां पेश कर रहे हैं-
रूप तेरा मस्ताना- किशोर कुमार की आवाज अपने दौर के हर नायक के ऊपर अच्छी लगती है। रूप तेरा मस्ताना गाना राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर पर फिल्माया गया है। यह फिल्म थी आराधना, जो 1969 में प्रदर्शित हुई था। यह अपने दौर की सुपर हिट फिल्म थी। आज भी यह गाना बॉलीवुड का सबसे रोमांटिक गानों में शुमार किया जाता है। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की शानदार केमेस्ट्री से सजी इस फिल्म में किशोर कुमार की आवाज राजेश खन्ना पर एकदम फिट बैठती है।
जाने जां ढूंढता फिर रहा- फिल्म जवानी दीवानी में यह गाना शामिल किया गया था। इस गाने में किशोर कुमार का साथ दिया था आशा भोंसले ने और यह गाना फिल्म के नायक रणधीर कपूर और नायिका जया बच्चन पर फिल्माया गया था। 1972 में आई इस फिल्म में आर. डी. बर्मन ने संगीत दिया था। फिल्म में जया भादुड़ी ग्लैमरस अवतार में नजर आई थीं। यह एक रोमांटिक फिल्म थी और यह पहला मौका था जब किसी फिल्म में रणबीर और जया की जोड़ी बनी थी। गाने का पिक्चराइजेशन भी काफी खूबसूरत है। नायिका, नायक के साथ लुका छिपी का खेल खेलती है और नायक उसे यह गाना गाकर ढूंढता फिर रहा है। गाने में आशा भोंसले ने भी अपनी आवाज के साथ कमाल का मॉड्यूलेशन किया है, जो पंचम दा की खास स्टाइल रही है।
फूलों के रंग से- किशोर कुमार ने देवआनंद के लिए भी काफी हिट गाने गाए हैं। हालांकि देव साहब की प्रारंभिक फिल्मों में उनके लिए प्लेबैक सिंगिग का काम हेमंत कुमार और रफी साहब ने किया था। लेकिन बाद की फिल्मों में तो किशोर कुमार जैसे देव साहब की ही आवाज बन गए थे। फूलों से रंग से ... गाना फिल्म प्रेम पुजारी का है जिसका निर्माण देव साहब ने अपनी ही फिल्म कंपनी नवकेतन के बैनर तले किया था। यह वह आखिरी फिल्म है जिसका निर्देशन उनके छोटे भाई विजय आनंद ने किया था। इसके बाद वे इस बैनर से हमेशा के लिए अलग हो गए थे। फूलों से रंग से ,,, गाने में देव साहब के साथ नायिका वहीदा रहमान की एक झलक मिलती है, साथ ही सह नायिका नादिया भी नजर आती हैं। गाने के बोल भी दिल को छू लेने वाले हैं। गाने का संगीत सचिन देव बर्मन ने तैयार किया था और यह फिल्म 1970 में रिलीज हुई थी।
मेरे सामने वाली खिड़की में- यह गाना इसलिए भी लोगों खास तौर से पसंद आता है, क्योंकि इसमें किशोर दा भी अपने खास अंदाज में नजर आते हैं। पड़ोसन फिल्म में नायक सुनील दत्त नायिका सायरा बानो को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे बेहद बेसुरे हैं। इसलिए गायक किशोर कुमार उनकी मदद के लिए सामने आते हैं और खिड़की के पीछे खड़े वे यह गाना गाते हैं और सुनील दत्त साहब केवल होंठ हिलाते हैं। साथ ही अभिनेता मुकरी, केस्ट्रो मुखर्जी और राजकिशोर टीपा, झाडू लिए म्यूजिक देते हैं। 1968 की इस फिल्म में भी पंचम दा का संगीत था। कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म में किशोर कुमार, सुनील दत्त और मेहमूद ने लोगों को काफी हंसाया था। मेरे सामने वाली खिड़की गाने के अलावा फिल्म में कहना है... गीत भी हिट हुआ था।
ईना मीना डीका- यह गाना किशोर कुमार साहब पर ही फिल्माया गया है और यह फिल्म थी आस्था। इस फिल्म में किशोर कुमार की नायिका का रोल वैजयंतीमाला ने निभाया था। गाने में किशोर दा की हुडदंगी स्टाइल साफ झलकती है। गाने में काफी रोमांच है और एक ही सांस में इसे किशोर दा के जैसे इसे गाना किसी आम कलाकार के लिए सहज बात नहीं है। गाने के बोल काफी उटपटांग हैं, लेकिन इसका अपना मजा है। फिल्म में किशोर कुमार मुख्य भूमिका में थे। यह गाना आशा भोंसले की आवाज में भी है, लेकिन किशोर दा वाला वर्जन ज्यादा लोकप्रिय हुआ था। फिल्म का प्रदर्शन 1957 में हुआ था। फिल्म के गीतों को सुरों से सजाया था-सी. रामचंद्र ने।
कुछ तो लोग कहेंगे- राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म अमर प्रेम का यह गाना किशोर दा ने इतनी खूबी से गाया है कि आज भी इसे सुनकर सुकून मिलता है। फिल्म का प्रदर्शन 1972 में हुआ था। आर. डी. बर्मन साहब ने आनंद बख्शी के दिल को छू लेने वाले बोलों को इतने सुंदर ढंग से सुरों में पिरोया है कि आज भी इस फिल्म के गाने लोगों की जुबां पर हैं। इस गाने का फिल्मांकन कोलकाता में हुगली नदी पर बड़े ही पारंपरिक अंदाज में छोटी नाव यानी डोंगी पर हुआ है। इस गाने में किशोर कुमार की आवाज का जादू आज भी बरकरार है। गाने में रोमांस भी है और नायक, नायिका को उसके दुख से निकालने का प्रयास बड़ी ही सरलता से दुनियादारी का आईना दिखाते हुए करता है।
ये जो मोहब्बत है- 70 के दशक में राजेश खन्ना के साथ किशोर दा की आवाज की ऐसी स्पेशल बांडिंग हो गई थी कि हर निर्माता, इस जोड़ी को फिल्म में लेना पसंद कर रहा था। यदि इसमें पंचम दा यानी आर. डी हर्मन साहब भी जुड़े जाते थे, तो गाने तो शानदार बनने ही थे। ये जो मोहब्बत है, इसी तिकड़ी का एक हिट गाना है। यह गाना फिल्म फिल्म कटी पतंग में शामिल किया गया था। 1971 में प्रदर्शित इस फिल्म में राजेश खन्ना के अपोजिट आशा पारेख थीं। इस बार भी पंचम दा का संगीत लोगों के सिर चढ़कर बोला। फिल्म में हर मूड के गाने थे खासकर ये जो मोहब्बत है, में नायक राजेश खन्ना अपने टूटे हुए दिल का दुख बड़े ही बेफिक्री से झटकते हुए नजर आते हैं और प्यार करने से तौबा करते हैं। गाने में राजेश खन्ना की देवदास स्टाइल भी काफी पसंद की गई थी।
मेरे सपनों की रानी - किशोर कुमार और राजेश खन्ना के गानों की बात हो और मेरे सपनों की रानी... गाने का जिक्र न हो तो, बात अधूरी सी लगती है। यह गाना फिल्म आराधना का है। गाने में राजेश खन्ना के साथ अभिनेता सुजीत कुमार भी नजर आते हैं। फिल्म में सुजीत कुमार ने राजेश खन्ना के अच्छे दोस्त का रोल निभाया था। गाने में बॉलीवुड का टिपिकल मसाला एक्शन देखने को मिलता है। राजेश खन्ना खुली जीप में बैठे यह रोमांटिक गाना गाते हैं और सुजीत कुमार माउथऑर्गन पर उनका साथ देते हैं। गाने में नायिका शर्मिला टैगोर की एक झलक मिलती है जो ट्रेन में बैठी हुई है। गाने में खूबसूरत वादियां और पहाड़ों पर खासतौर से चलने वाली छोटी ट्रेन के दर्शन होते हैं। सचिन देव बर्मन साहब ने गाने में ऐसे- वाद्यों का प्रयोग किया है कि गाने के साथ- साथ चलती ट्रेन की आवाज भी संगीत में शामिल हो गई है।
किशोर दा के गाए और भी कई बेहतरीन गाने हैं, जिनकी चर्चा यदि करते जाएं तो न जाने कितने ही दिन बीत जाएं, लेकिन बात खत्म नहीं होगी। फिर कभी इन गानों से जुड़ी यादों को हम ताजा करेंगे।
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