सजल......अंतस दीप जलाए कितने , इस बार दीवाली में
- कविता
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
पाए और गँवाए कितने , इस बार दीवाली में ।
रूठे मित्र मनाए कितने , इस बार दीवाली में ।।
बरसों जमा कबाड़ निकाला , स्वच्छ कर कोना-कोना ।
भाई मतभेद मिटाए कितने , इस बार दीवाली में ।।
सतरंगी लड़ियों से रोशन , झिलमिल महल -चौबारे ।
अंतस दीप जलाए कितने , इस बार दीवाली में ।।
द्वेष-बैर को मन में पाला , छुपकर मूल्य कुतर रहे ।
मूषक-दंभ भगाए कितने , इस बार दीवाली में ।।
छप्पन भोग लगे लक्ष्मी को , वस्त्राभूषण भी चढ़े ।
भूखे अन्न खिलाए कितने , इस बार दीवाली में ।।
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