पढ़ लिख के सुघ्घर आघु हम पढबो, आघु हम बढ़बो न रे सुआ न
-सुआ गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
पढ़ लिख के सुघ्घर आघु हम पढबो, आघु हम बढ़बो न रे सुआ न, भाग जाही हमरो जाग न रे सुआ न भाग जाहि हमरो जाग ।।
तरी हरी नाना मोर ना ना नहरी सुआ न भाग जाही हमरो जाग ।।
इस्कूल जाबो अपन गियान बढाबो , गियान बढाबो ना रे सुआ न । पढबो सुघर सुघ्घर किताब नारे सुआ न पढबो हम अब्बड़ किताब ।
तरी हरी नाना मोर ना नाहरी ना ना रे सुआ ना सिखबो करे बर हिसाब ना रे सुआ ना सिखबो करे बर हिसाब ।।
मेहनत करके अपन किस्मत बनाबो , अपन किस्मत बनाबो
रे सुआ ना समय ल करव झन खराब ना रे सुआ न समय ल करव झन खराब ।
तरी हरी नाना मोर ना नाहरी नाना रे सुआ ना दुनिया ल देबो जवाब ना रे सुआ ना दुनिया ला देबो जवाब ।।
जम्मो बेटी पढही , अउ आघु आघु बढ़ ही ना रे सुआ ना
पढ़ लिख के पाहीं रुआब ना रे सुआ ना पढ़ लिख के पाहीं रुआब ।।
तरी हरी नाना मोर ना नाहरी ना ना रे सुआ ना , कुरीति जाही जम्मो भाग ना रे सुआ ना कुरीति जाही जम्मो भाग ।।
तरी हरी नाना मोर ना नाहरी ना ना रे सुआ ना फूल जाहि खुशी के गुलाब ना रे सुआ हो फूल जाहि सुख के गुलाब ।।
--Mobael No.-9424132359
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