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वर्ल्ड कप में हार से परे, कुछ दूसरे भी अहम पहलू हैं...

-लेखक -डॉ. कमलेश गोगिया,  वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद् (प्रोफेसर, मैट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर)
क्रिकेट अनिश्चताओं का खेल है ! कौन सा ओवर मैच का पूरा पासा पलट दे या कौन बल्लेबाज या गेंदबाज मैच को निर्णायक मोड़ दे दे…! कुछ भी पहले से कहा नहीं जा सकता। कब उम्मीदों की किरण से अरमानों के पंख रोशन हो जाएँ और कब उम्मीदों पर पानी फिर जाए...कुछ भी निश्चित नहीं होता ! हाँ, निश्चित होती है हार या फिर जीत जो खेल के मैदान में किसी भी खेल की अंतिम परिणति होती है। रोमांच और ग्लैमर से भरे इस खेल में किसी टीम के संकट के क्षणों में हर शख्स को इंतजार रहता है किसी न किसी चमत्कार का! कोई करिश्मा हो जाए तो वह घटना अद्भुत बन जाती है। वर्ल्ड कप-2023 में भारतीय टीम का सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन इस पूरी यात्रा ने अनेक नये इतिहास जरूर रच दिये। हार-जीत का सूक्ष्म से सूक्ष्म विश्लेषण महीनों तक होता रहेगा, लेकिन इससे परे कुछ दूसरे भी पहलू हैं जो काफी अहम प्रतीत होते हैं। जाहिर है यह हार निराशाजनक है और सभी के दिल टूट गये, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने हर मैच में जोश, जज्बे और जुनून के साथ लगातार जीत हासिल कर फाइनल में प्रवेश किया था। वास्तव में इस वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम दुनिया में सबसे मजबूत टीम बनकर उभरी है। यह उसके फ़ाइनल तक प्रभावी प्रदर्शन से प्रमाणित होता है। इस हार से परे भी अनेक दूसरे महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनका विश्लेषण भी आवश्यक जान पड़ता है।
पूरी दुनिया की नजरें वर्ल्ड कप फाइनल पर टिकी रहीं। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मैच शुरू होने के पहले भारतीय वायु सेना की सूर्यकिरण टीम ने आसमान में अद्भुत एयर शो का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन ने देश-दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी क्रिकेट मैच और विशेष रूप से वर्ल्ड कप में टॉस के बाद और मैच शुरू होने से पहले इस तरह का अद्भुत प्रदर्शन किया गया हो। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 1996 में सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम का गठन किया गया था। ये टीम इंडियन एयर फोर्स के 52वें स्क्वाड्रन का हिस्सा है। इस टीम के विमानों से ही भारतीय वायुसेना अपने फाइटर जेट के पायलटों को युद्धाभ्यास के लिए ट्रेनिंग देती है। विश्व कप-2023 में भारत के खेल प्रेम के साथ युद्ध कौशल का अभ्यास पूरी दुनिया ने देखा। वर्ल्ड कप में इस बात का भी अहसास हुआ कि खेल में अब प्रतिस्पर्धा का स्वरूप बदलता जा रहा है। विराट कोहली का टीम इंडिया की जर्सी पाकिस्तान के कप्तान बाबर को भेंट करना खेल भावना का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
निःसंदेह भारतीय क्रिकेट टीम अपने ही घर में दो बार विश्व कप का खिताब हासिल करने वाली दुनिया की पहली टीम बन सकती थी, लेकिन यह सम्भव न हो सका, लेकिन भारतीय टीम के प्रयासों को कतई कमतर नहीं आंका जा सकता। भारत 1983 और 2011 में दो बार वर्ल्ड कप का खिताब और 2007 का टी-20 का खिताब जीतने वाली विश्व में पहली टीम है। मसलन भारत ने 60 ओवर, 50 ओवर तथा 20 ओवर का वर्ल्ड कप जीता है। यह मुकाम हासिल करना किसी अन्य देश के लिए कभी भी संभव प्रतीत नहीं होता।
भारत को 20 साल बाद आस्ट्रेलिया से 2003 का बदला लेने का अवसर जरूर मिला था, जिस पर टीम इंडिया चूक गई, लेकिन अनेक नये इतिहास भी रचे। इस विश्व कप में भारत बिना कोई मैच हारे, लगातार जीत दर्ज कर फाइनल तक पहुँची। इस विश्व कप में सबसे ज्यादा 40 शतक लगे जो अब तक नहीं लगे थे। सभी टीमों के बल्लेबाजों ने शतक लगाए तो विराट कोहली ने शतकों का अर्धशतक लगाया। 2015 के वर्ल्ड कप में 38 शतक लगे थे। रोहित शर्मा वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दुनिया के पहले कप्तान बने। ऐसी बहुत सी बातें हैं जो भारतीय क्रिकेट टीम को सर्वश्रेष्ठ प्रमाणित करती हैं, क्या हमें इन तथ्यों का आंकलन नहीं करना चाहिए ? क्रिकेट पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोता है। कहीं पूजा तो कहीं हवन, मन्नतें...हर शख्स की चाहत होती है भारत विश्व का सिरमौर बने। यह भावना भारत की सांस्कृतिक विविधता में उसकी आधारभूत एकता से परिपूर्ण देवभूमि देश के दर्शन कराती है। इस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम पहले मैच से अपनी श्रेष्ठ कोशिशें की बदौलत जीत हासिल करते हुए फाइनल तक पहुँची। फाइनल में भी उसकी कोशिशें जारी रहीं। यह कोशिशें आगे भी जारी रहनी चाहिए। गलतियाँ और कमियाँ सुधारने के लिए विश्लेषण को आवश्यक समझा जाता है, लेकिन यह समय अब तक के प्रदर्शन पर हौसला अफ़ज़ाई का भी है। हिन्दी कविता के अमिट हस्ताक्षर सोहनलाल द्विवेदी जी की यह सुप्रसिद्ध कालजयी रचना स्मरण हो आती है-
 लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

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