तुम शिव हो जाना
तुम शिव हो जाना
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कविता-
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
लोग तुम्हें बुरा बोलेंगे ,
हँसेंगे तुम्हारे पहनावे पर ,
तुम्हारी जीवन-शैली पर,
जीर्ण-शीर्ण आवास पर ,
इन सबसे विचलित मत होना
पार्थिव हो जाना,
तुम शिव हो जाना ।
आगे जाने नहीं देंगे विरोधी,
बढ़ गए तो गिराने की
भरसक कोशिश होगी ,
अपमानों के शूल चुभोकर,
छीन लेंगे है तुम्हें जो प्रिय,
पी जाना अपमानों का गरल,
या क्रोध में तांडव कर जाना ,
फिर शांतचित्त राजीव हो जाना ।
तुम शिव हो जाना ।।
उच्च विचार, शक्ति-संपन्न ,
धीर-वीर, सहनशील बन।
छल-कपट से दूर सरल हो,
भोलेनाथ जीत सके जग का मन ।
रख हृदय में राम ही बस ,
आशुतोष बन मुस्कुराना ,
चिरंजीव हो जाना ।
तुम शिव हो जाना ।।
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