आओ बिखेरें प्यार की खुशबू
- कविता
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
सुंदर मधुबन जगत बनाएँ ,
खुशियों के हम फूल खिलाएँ ।
सुख के पंछी उतरें ऑंगन ,
नित-नित कलरव-गान सुनाएँ ।।
मोह, लोभ, मद, काम-क्रोध को ,
विलुप्त कर दें भाव-भूमि से ।
क्षमा ,दया को रोपित कर दें ,
पौध प्यार की जन-मन सरसे ।।
नेह,प्रेम का नीर सींच कर ,
चलो शांति के बीज उगाएँ ।।
सुंदर मधुबन जगत बनाएँ ।
खुशियों के हम फूल खिलाएँ ।।
कलित ललित शीतल सुखदायी
मृदु मंद पवन मंथर-मंथर ।
शांत सलिल उर्मिल प्रवाह में ,
जीवन-नैया चलती सत्वर ।
आ बिखेरें प्यार की खुशबू ,
जीवन के सुख-साज सजाएँ ।।
सुंदर मधुबन जगत बनाएँ ।
खुशियों के हम फूल खिलाएँ ।।
सृजन करें नव गीतों का हम ,
जीवन में सुख-संगीत भरें ।
पावन हो जाए यह धरती ,
शुभ पुण्य कर्म हम सभी करें ।
महित मुदित मोहक हो दुनिया,
विषमताओं को हम मिटाएँ ।।
सुंदर मधुबन जगत बनाएँ ।
खुशियों के हम फूल खिलाएँ ।।
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