सजल
- कविता
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
अंतस में स्नेह-दीप बालें नए साल में ।
खुशियों भरे गीत गा लें नए साल में ।।
मुश्किलों की गहरी रातों का अंतिम प्रहर ।
स्वर्ण किरण रवि मुख पर डालें नए साल में ।।
धरती के कण-कण में छुपी हुई खुशहाली ।
सच्ची खुशी संतोष पा लें नए साल में ।।
दुख पीड़ा की गठरी को शीश नहीं बाँधें ।
इत्र सुधियों की महका लें नए साल में ।।
नागफनी के बीज न बोना मन-मधुवन में ।
सद्भावों के फूल खिला लें नए साल में ।।
भूलें सारी कड़वी बातें द्वेष-दंभ तज दें ।
हृदय को गंगा जल बना लें नए साल में ।।
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