राम नाम जप ले रे मनवा.....
गीत
स्वरचित- डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
स्वरचित- डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
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राम नाम जप ले रे मनवा , निशिदिन साँझ-सवेरे ।
आशा का सूरज निकलेगा , मन से मिटे अँधेरे ।।
काम क्रोध मद मोहक माया ,मन को बहकाती है ।
पाप- पंक में डूबी काया , जीवन भटकाती है ।
पावन रखने मन की बगिया ,कर्म करें बहुतेरे ।
राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
सुरभित सुंदर दलपुंजों सम , सदाचार शुचि रखना ।
झंकृत हो जाए हृदवीणा , बोले मधुरिम रसना ।
सुरसरिता सम निश्छल निर्मल, चितवन कुंज घनेरे ।
राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
भवसागर में जीवन तरणी , डगमग - डगमग डोले ।
मोह -भँवर में फँसी हुई यह , खाती है हिचकोले ।
कुसुम-कंटकित पथ पर भटके , प्रेमिल पथिक चितेरे ।
राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
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