मंदिर में आ गए राम तुम , अंतस में कब आओगे .......
गीत -डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
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मंदिर में आ गए राम तुम , अंतस में कब आओगे ।
जीवन में तम-तोम बढ़ रहा , उजियारा कब लाओगे ।
शुचिता को ही निगल रहे हैं, जग के व्यभिचारी दानव ।
कलुषित भावों में पगे हुए ,कलयुग के दंभी मानव ।
अंधकारमय पथ में जग के , जीवन-ज्योति जलाओगे ।।
मंदिर में….
मन का दर्पण टूट रहा है , धोखे के पाषाणों से ।
आहत बहुत हुआ अंतर्मन , तीक्ष्ण प्रवंचित बाणों से ।
पीड़ित वंचित सुग्रीव कई , कब मित्रता निभाओगे ।।
मंदिर में…..
सब लेने को ही आतुर हैं , त्याग नहीं करता कोई ।
मार रहे हैं निज परिजन को ,जनहित कब मरता कोई ।
मर्यादित आचरण शिष्टता , कब सभ्यता सिखाओगे ।।
मंदिर में…..
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