पावन राखी आई है
- लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
भ्रात-बहन का स्नेह परखने , पावन राखी आई है
अक्षत कुमकुम पुष्प-दीप से , थाली आज सजाई है ।
एक-दूसरे का मन पढ़ लें , खूबी कमी भी पहचानें ।
सामंजस्य भरा यह रिश्ता , गरिमा इसकी सब मानें ।
उन प्यारे - प्यारे झगड़ों में , स्नेह की छुपन -छुपाई है ।
अक्षत कुमकुम….
रेशम की डोरी में बाँधी , मंगल भावों के मोती ।
भाई को दुख में देखे तो,छुप-छुप कर दिन भर रोती ।
मुश्किल घड़ियों में राहत का, झोंका घर में लाई है ।
अक्षत कुमकुम…..
माँ-सी होती बड़ी बहन भी , कवच दुआओं का रखती ।
बिना कहे मन-पीर समझती , भाव हृदय के पढ़ लेती ।
पथ से नहीं भटकने देती , राह सही दिखलाई है ।
अक्षत कुमकुम….
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