सोरठा...(पर्व, त्यौहार)
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
बढ़े देश का मान, तीज- त्यौहार से सदा ।
भारत की पहचान , भाँति - भाँति के पर्व से ।। 1
निर्जला निराहार , तीजा पर्व मना रहीं ।
खुशियाँ मिले अपार , गौरी के आशीष से ।। 2
पावन यह त्यौहार, रंग भरे संसार में ।
सिखलाता व्यवहार, शिक्षा दे तप त्याग की ।। 3
जग में भरे उजास, शुभ दीपावली से सदा ।
भरे मन में प्रकाश, उर का अँधियारा मिटा ।। 4
मिले सबको रोजगार, भूखे को रोटी मिले ।
हो जाये त्यौहार, घर में जब चूल्हा जले ।। 5
देना यह वरदान , गौरी माता तुम मुझे ।
रखना मेरा मान , सदा सुहागन मैं रहूँ ।। 6
लेकर पूजन थाल , गौरी अर्चन को चली ।
तृतीय तिथि हर साल , शुक्ल पक्ष यह भाद्र का ।। 7
जीवन भर का साथ , अमर सुहाग मेरा रहे ।
रखना सिर पर हाथ , कृपा करो माँ पार्वती ।। 8
जीवन का क्या मोल , पति परमेश्वर के बिना ।
रिश्ता यह अनमोल प्रेम के बंधन बंधा ।। 9
कहीं मने त्यौहार , कोई उदास है कहीं ।
सुखी रहे संसार , सीखें जब हम बाँटना ।। 10
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