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 संजीव कुमार की ये इच्छा कभी पूरी नहीं हो पाई....
  जन्मदिन विशेष  
मुंबई।  हिंदी सिनेमा जगत के बेहतरीन अभिनेता संजीव कुमार आज जिंदा होते तो वे अपना  82 वां जन्मदिन मना रहे होते। साथ ही फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से लोगों को प्रभावित कर रहे होतेेे। लेकिन मात्र 47 साल की उम्र में वे इस दुनिया से रुखसत हो गए। उन्होंने हर तरह की फिल्में कीं। सबसे ज्यादा जया भादुड़ी के साथ उन्हें पसंद किया। जया फिल्म इंडस्ट्री की वो एकमात्र एक्ट्रेस हैं, जो संजीव कुमार की प्रेमिका बनी, बेटी बनी और फिर बहू के रूप में भी नजर आईं। फिल्म कोशिश में संजीव और जया के अभिनय को खूब सराहना मिली थी। 
 9 जुलाई 1938 को संजीव कुमार का जन्म सूरत में हुआ था। उनका असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था और उनके करीबी उन्हें प्यार से हरी भाई कहकर बुलाते थे। इंडस्ट्री की रवायत थी असल जिंदगी के नाम को भुलाकर पर्दे पर नए चमकते हुए नाम को बनाना और ऐसे ही सिनेमा में आने के बाद हरिहर जेठालाल दुनिया के लिए बन गए संजीव कुमार। 
 घर खरीदने का सपना पूरा नहीं हो पाया
 संजीव कुमार के दौर की बात हो तो अंजू महेन्द्रू का नाम सुनाई दे ही जाता है। राजेश खन्ना से लेकर संजीव कुमार तक अंजू की करीबियां रही हैं। संजीव अंजू को मुंहबोली बहन मानते थे।  एक दफा अंजू महेन्द्र ने बीबीसी से बात करते हुए कहा था कि संजीव कुमार की एक इच्छा मरते समय तक भी पूरी नहीं हो सकी थी। दरअसल संजीव कुमार मुंबई में अपना एक बंगला खरीदना चाहते थे। जब उन्हें कोई बंगला पसंद आता और उसके लिए पैसे जुटाते तब तक उसके भाव बढ़ जाते। यह सिलसिला कई सालों तक चला। अंजू ने इस इंटरव्यू में कहा था-  जब पैसा जमा हुआ, घर पसंद आया तो पता चला की वह प्रॉपर्टी कानूनी पचड़े में फंसी है। मामला सुलझे उससे पहले वह चल बसे।  तो ऐसे रुपये होने के बावजूद संजीव कुमार मुंबई में अपने खुद के घर का सपना कभी पूरा ही नहीं कर सके।
बहुत शक्की थे संजीव कुमार
 पर्दे पर अक्सर गंभीर किरदार निभाने वाले संजीव कुमार असल जिदंगी में भी संजीदा ही थे। इसी इंटरव्यू में अंजू महेन्द्रू ने संजीव कुमार को लेकर कई दिलचस्प बातें भी साझा की। उन्होंने कहा था-  जिन महिलाओं के साथ भी उनका अफेयर रहा उन पर संजीव बहुत शक किया करते थे। उन्हें लगता था कि वे उन्हें नहीं उनके पैसों को चाहती हैं। इसी धारणा के चलते उनकी शादी नहीं हो पाई। संजीव कुमार हेमामालिनी से बेतहाशा प्यार करते थे। वहीं सुलक्षणा पंडित उनके प्यार में पागल थी। संजीव कुमार के ठुकराए जाने के बाद सुलक्षणा डिप्रेशन में चली गईं और उनका कॅरिअर खत्म हो गया। .
मौत का लगा रहता था डर
 एक दिलचस्प बात यह भी है कि संजीव कुमार को हमेशा एक फिक्र यह भी रहती थी कि उनके परिवार में अधिकतर पुरुषों की मौत 50 की उम्र से पहले ही हुई थी। संजीव के छोटे भाई की मृत्यु भी कम उम्र में होने से उनके मन में यह बात और गहरे से बैठ गई। संजीव अक्सर अपने करीबियों से कहते थे कि वह भी जल्दी चले जाएंगे और नियति का खेल देखिए हुआ भी कुछ ऐसा ही और 6 नवंबर 1985 को 47 साल की उम्र में वह भी चल बसे। 
मौत के बाद रिलीज हुईं फिल्में
संजीव कुमार की मौत के बाद 10 फिल्में रिलीज हुई थीं। इनमें से अधिकांश फिल्मों की शूटिंग बाकी रह गई थी। कहानी में फेरबदल कर इन्हें प्रदर्शित किया गया था। 1993 में उनकी अंतिम फिल्म  प्रोफेसर की पड़ोसन  प्रदर्शित हुई। इसके अलावा  कातिल  (1986),  हाथों की लकीरें  (1986),  बात बन जाए (1986),  कांच की दीवार (1986),  लव एंड गॉड  (1986),  राही  (1986) दो वक्त की रोटी  (1988), नामुमकिन  (1988), ऊंच नीच बीच (1989) फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज हुई थीं।
 हम हिन्दुस्तानी फिल्म से शुरू किया संजीव ने फिल्मी सफर
संजीव कुमार ने अपने फिल्मी सफर के दौरान कई यादगार भूमिकाएं निभाई थी। उन्होंने 1960 में आई फिल्म  हम हिन्दुस्तानी  से फिल्मी सफर शुरू किया था। उन्होंने  अनुभव  (1971),  सीता और गीता  (1972), कोशिश  (1972),  अनामिका  (1973),  नया दिन नई रात  (1974),  आंधी (1975),  शोल  (1975),  मौसम (1975),  उलझन  (1975),  नौकर  (1979),  सिलसिला (1981) सहित कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। (छत्तीसगढ़आजडॉट विशेष)

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