खोंचा खोंचा भोजली...
भोजली गीत
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
खोंचा खोंचा भोजली, ले जा पाछू कान।
आ ओ मोर जहूरिया, बनी जाबो मितान।।
देवी मइया आ जहू, हमरो घरे दुआर।
पाये बर आशीष हम, तोर करथन पुकार।
माटी भर लव टोकनी, छींचव गेहूं धान।।
आ ओ मोर जहूरिया, बनी जाबो मितान।।
सँझा दिया बाती करव, गावव सेवा गीत।
बाढ़य हरियर भोजली, मोरे मन के मीत।
संगी मन झन छूटही, छूटय भले परान।।
आ ओ मोर जहूरिया, बनी जाबो मितान।।
देवी माँ के छाँव मा, भरे अन्न भंडार।
रोग शोक हो दूरिहा, तुहर महिमा अपार।
सुनता के अंजोर मा, सुख के नवा बिहान।
आ ओ मोर जहूरिया, बनी जाबो मितान।।
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