अंतर्मन में झाँकें खुद ही...
गीत
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
अंतर्मन में झाँकें खुद ही, देख नहीं कोई पाएगा ।
तुम्हें अकेले जाना जग से , साथ नहीं कोई जाएगा ।।
कमियों का सागर मानव तन ,
कंटक मार्ग के छाँटता जा ।
दुःख को अपने साथ रखना ,
मन की खुशी को बाँटता जा ।
काम किसी के आ जाओ तो ,वह आजीवन गुण गाएगा ।।
तुम्हें अकेले जाना जग से , साथ नहीं कोई जाएगा ।।
छल दंभ मद-मोह में पड़कर ,
जीवन भर तू सबको छलता ।
सुविधा-स्वार्थ के आस्तीन में ,
छल का दंभी अजगर पलता ।
दुर्गुण का घुन पनप न पाए, यह सत्कर्मों को खाएगा ।।
तुम्हें अकेले जाना जग से, साथ नहीं कोई जाएगा ।।
आत्म-नियंत्रण की छेनी से ,
मन के पाहन को तराश ले।
भटक नहीं जीवन के पथ में ,
मानव ईश्वर को तलाश ले ।
मदद करे जो लाचारों की , उसके पीछे सुख आएगा ।।
तुम्हें अकेले जाना जग से , साथ नहीं कोई जाएगा ।।








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