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 मनोज कुमार ने लालबहादुर शास्त्री से प्रेरणा लेकर फिल्म उपकार का निर्माण किया और ट्रेन में लिखी थी कहानी
  •  जन्मदिन पर विशेष
हिन्दी फिल्म जगत में जब भी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों का जिक्र होता है, तो सबसे पहले भारत कुमार यानी मनोज कुमार ही याद किए जाते हैं। उनकी फिल्मों ने अपने दौर में एक अलग ही पहचान बनाई थी। मनोज कुमार की फिल्मों की कहानी , उसका संगीत ्आज भी कालजयी कहलाते हैं।  
 हरिशंकर गिरि गोस्वामी यानी मनोज कुमार  आज अपना 83 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। उनके नाम के साथ अनेक हिट फिल्में जुड़ी हुई है। भगत सिंह के जीवन पर आधारित  शहीद  फिल्म के बाद देशभक्ति आधारित फिल्मों में उनका खूब नाम हुआ। एक लंबे समय तक बॉलीवुड पर राज करने वाले मनोज कुमार को  उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपडा और मकान, क्रांति, नील कमल, हरियाली और रास्ता, वो कौन थी, हिमालय की गोद में, दो बदन और शोर जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत कुमार के नाम से अधिक पहचान मिली है, क्योंकि अपनी ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने अपना नाम भारत ही रखा। 
 मनोज कुमार का जन्म का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद (पाकिस्तान) में  हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया और फिर मुंबई। जब उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो वे दिलीप कुमार साहब से बहुत प्रभावित थे। दिलीप कुमार से ही प्रेरणा लेकर उन्होंने अपनी नाम हरिशंकर गिरि गोस्वामी से मनोज कुमार रखा और इसी नाम ने उन्हें अपार सफलता, लोकप्रियता दिलाई। 
 मनोज कुमार ने अपने बॉलीवुड करिअर की शुरुआत डायरेक्टर लेखराज भाकरी की 1957 में आई फिल्म  फैशन  से की थी, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि लेखराज भाकरी असल जिंदगी में मनोज के रिश्तेदार ही थे। अपनी पहली फिल्म मनोज ने 80 साल के एक भिखारी का किरदार निभाया था। फिल्म सफल नहीं रही तो मनोज कुमार को किसी ने खास नोटिस भी नहीं किया। आखिरकार फिल्म शहीद से उन्हें सही पहचान मिली । इस फिल्म में उन्होंने भगत सिंह के रोल में जैसे जान ही डाल दी थी। यह फिल्म सुपर हिट हुई और मनोज कुमार भी निर्माता-निर्देशकों की पसंद बन गए। यहां तक भगत सिंह की असली मां  विद्यावती भी मनोज कुमार को भगत सिंह के रूप में देखकर बोली थीं कि मेरा बेटा ऐसा ही लगता था। 
मनोज कुमार के जीवन से जुड़ी खास बातें
- मनोज कुमार हवाई जहाज में सफर नहीं करते हैं।  फिल्म  पूरब और पश्चिम  की शूटिंग के लिए हवाई जहाज में बैठने पर उनके मन में डर बैठ गया था, जिसके बाद से उन्होंने आज तक दुबारा हवाई सफर नहीं किया है। 
- फिल्म  उपकार की प्रेरणा मनोज कुमार को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से मिली थी। दरअसल शास्त्री जी को मनोज कुमार की फिल्म  शहीद  बेहद पसंद आई थी जिसे देखने के बाद उन्होंने मनोज कुमार को जय जवान,जय किसान पर फिल्म बनाने का सुझाव दिया था। शास्त्री जी के सुझाव से मनोज इतने प्रभावित हुए कि शास्त्री जी से मुलाकात के बाद  ट्रेन से दिल्ली से मुंबई लौटते वक्त ही उन्होंने फिल्म  उपकार की कहानी तैयार कर ली थी। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ। 
 
 
- पूरब और पश्चिम  से तो मनोज कुमार भारत कुमार के रूप में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गए. इसका एक कारण यह भी था कि इस फिल्म के लिए इंदीवर ने एक गाना लिखा था- भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं।  यह गीत उस समय इतना लोकप्रिय हुआ कि हर किसी की जुबान पर यह गीत चढ़ गया। आज भी यह गीत इतना लोकप्रिय है कि हमारे स्वतंत्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस पर यह रेडियो टीवी सहित स्कूल, कॉलेज आदि के समारोह में खूब गाया, बजाया जाता है।
 - बॉलीवुड की 16 फिल्मों में साथ काम कर चुके अमिताभ बच्चन और शशि कपूर को सबसे पहले स्क्रीन पर मनोज कुमार अपनी फिल्म  रोटी, कपड़ा और मकान  में साथ लाए थे। इस  फिल्म  से पहले अमिताभ बच्चन का करिअर ढलान पर आ गया था और वो मुंबई छोडऩे का मन बना चुके थे, लेकिन मनोज कुमार ने उन्हें मुंबई छोड़ कर जाने से रोका और अपनी फिल्म  रोटी, कपड़ा और मकान का ऑफर दिया।  फिल्म सुपर हिट हुई।
-  भारत कुमार के रूप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद मनोज कुमार को सार्वजनिक जीवन में सिगरेट पीने पर एक लड़की की डांट भी सुननी पड़ी थी। एक बार  मनोज कुमार ने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया था।  उन्होंने बताया- एक बार मैं परिवार के साथ किसी रेस्तरा में खाना खाने गया। खाने का ऑर्डर देने के बाद मैं सिगरेट पीने बैठ गया।  तभी सामने बैठी एक लड़की बड़े गुस्से से मेरे पास आकर बोली- आप कैसे भारत कुमार हैं । भारत कुमार होकर सिगरेट पीते हैं। उस लड़की की यह बात सुन मैं और मेरा परिवार दंग रह गया  लेकिन मैंने तभी सिगरेट फेंक दी थी। 
 -मनोज कुमार ने देशभक्ति पूर्ण फिल्मों के अलावा ध्वनि प्रदूषण पर एक फिल्म बनाई थी- शोर। फिल्म में दिव्यांगों की जि़ंदगी की समस्याओं को भी बहुत ही संजीदगी से दिखाया गया था। फिल्म में संतोष आनंद के लिखे मधुर गीत एक प्यार का नगमा है, का जादू आज भी बरकरार है।
-मनोज कुमार के पसंदीदा हीरो दिलीप कुमार थे, तो वहीं नायिकाओं में उन्हें कामिनी कौशल पसंद थी, जिनके साथ उन्होंने फिल्म शहीद में काम किया था। 
-  मनोज कुमार को वर्ष  1992 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके साथ ही उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड भी मिल चुका है।
 (छत्तीसगढ़आजडॉटकॉम विशेष)
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