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बहुत जिंदादिल थे याहू स्टार शम्मी कपूर
पुण्यतिथि पर विशेष
जाने-माने अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के सभी बेटों राजकपूर, शम्मीकपूर और शशिकपूर ने लोकप्रियता के शिखर को छुआ है। सबका अपना अलग अंदाज हुआ करता था। 
आज ही के दिन 2011 में  शम्मी कपूर इस संसार से रुखसत हुए थे।  शम्मी का वास्तविक नाम शमशेर राज कपूर था। अपनी विशिष्ट याहू शैली के कारण बेहद लोकप्रिय रहे शम्मी कपूर हिंदी फि़ल्मों के पहले सिंगिंग-डांसिग स्टार माने जाते रहे हैं। 
 भारत के एल्विस प्रेसली  कहे जाने वाले शम्मी कपूर रुपहले पर्दे पर तब अपने अभिनय की शुरुआत की, जब उनके बड़े भाई राज कपूर के साथ ही देव आनंद और दिलीप कुमार छाए हुए थे।  शम्मी कपूर ने वर्ष 1953 में फि़ल्म  ज्योति जीवन में पहली बार नायक के तौर पर कदम रखा। वर्ष 1957 में नासिर हुसैन की फि़ल्म  तुमसा नहीं देखा  में जहां अभिनेत्री अमिता के साथ काम किया, वहीं वर्ष 1959 में आई फि़ल्म  दिल दे के देखो में आशा पारेख के साथ नजर आए।   वर्ष 1961 में आई फि़ल्म (जंगली) ने शम्मी कपूर को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। इस फि़ल्म के बाद ही वह सभी प्रकार की फि़ल्मों में एक नृत्य कलाकार के रूप में अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे।  जंगली  फि़ल्म का गीत  याहू दर्शकों को खूब पसंद आया। उन्होंने चार फि़ल्मों में आशा पारेख के साथ काम किया जिसमें सबसे सफल फि़ल्म वर्ष 1966 में बनी  तीसरी आंख  रही। वर्ष 1960 के दशक के मध्य तक शम्मी कपूर  प्रोफेसर, चार दिल चार राहें, रात के राही, चाइना टाउन, दिल तेरा दीवाना , कश्मीर की कली और ब्लफमास्टर जैसी हिट फिल्में दी।  फि़ल्म  ब्रह्मचारी  के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फि़ल्म फेयर पुरस्कार भी मिला जिसमें उनकी नायिका के तौर पर राजश्री ने काम किया था। उनके लिए रफी साहब ने खूब गाने गए और प्राय: सभी सुपर हिट रहे। 
शम्मी कपूर ने अपने दौर में मधुबाला, सुरैया , नलिनी जयवंत जैसी सफल नायिकाओं के साथ काम किया, इसके बाद भी उनकी फिल्में नहीं चली। फिल्म  तुमसा नहीं देखा में उन्होंने अपना लुक बदला और इस बार किस्मत ने साथ दे दिया और फिर वे उत्तरोत्तर सफलता की सीढिय़ां चढ़ते गए। इसी दौरान उन्होंने अपनी नायिका रही गीता बाली से शादी कर ली।  यह साथ ज्यादा दिन नहीं चला और गीता ने कम उम्र में ही इस संसार से विदा ले ली। उस वक्त बेटी कंचन और बेटा आदित्य काफी छोटे थे। उन्होंने दूसरी विवाह किया। गीता के चले जाने से शम्मी कपूर काफी निराश हो गए थे और इसका असर उनके कॅरिअर पर भी पड़ा। लेकिन वे फिर अपने अंदाज में लौटे और बॉलीवुड में छा गए। परिवार के लिए उन्हें नीला देवी से दूसरी शादी की। समय के साथ उन्होंने अपनी भूमिकाओं के साथ भी समझौता किया और चरित्र भूमिकाओं में भी अपना दमखम दिखाया। उनका पान पराग वाला विज्ञापन आज भी लोग भूले नहीं हैं। 
बड़े शौकीन तबीयत के थे
 शम्मी कपूर म्यूजिक, खानपान से लेकर खेल और गाडिय़ों का शौक रखते थे। 2011 में अपनी तबीयत ठीक नहीं होने के बाद भी उन्होंने पोते रणबीर कपूर के साथ फिल्म रॉकस्टार में काम किया। जीवन के अंतिम समय तक वे इंटरनेट पर व्यस्त रहा करते थे और ब्लॉग में अपने विचार लोगों से साझा करते रहते थे।  गोल्फ खेलना उन्हें काफी पसंद था। फिल्मी कलाकारों के लिए वे हमेशा से प्रेरणास्रोत थे और आगे भी बने रहेंगे। 
 
 

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