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‘हासिल' के 20 साल पूरे होने पर तिग्मांशु ने कहा-आपको अपनी पहली फिल्म के लिए हमेशा याद किया जायेगा

मुंबई. कम बजट, अपेक्षाकृत नए चेहरे और हिंदी सिनेमा के लिए मुख्यधारा से हटकर विषय होने की वजह से लोगों का इस ओर ध्यान जाना जरा मुश्किल था, लेकिन इन सब कठिनाइयों के बावजूद राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की पहली फिल्म ‘हासिल' एक यादगार फिल्म बन गई। मंगलवार को रिलीज होने के 20 साल पूरे करने वाली इस फिल्म ने अविस्मरणीय फिल्म का दर्जा हासिल कर लिया, जिस अकेली फिल्म ने तिग्मांशु को अपने निर्देशक को बुरे दौर में भी उद्योग में मजबूती से जमाये रखा। धूलिया ने कहा, "सात साल तक मुझे काम इसलिए मिलता रहा, क्योंकि मैंने 'हासिल' बनाई थी। लोग मुझे 'हासिल' के कारण नहीं भूले हैं और मैंने इसकी वजह से बहुत कुछ हासिल किया है। ..मुझे हमेशा अपनी इस पहली फिल्म के लिए याद किया जाएगा।" जिम्मी शेरगिल, इरफान खान और हृषिता भट्ट अभिनीत "हासिल" ने प्रेम-घृणा के रिश्तों के साथ छात्र और जाति की राजनीति के इर्द-गिर्द, सिनेमा के लिए एक खाका पेश किया गया था जो 16 मई, 2003 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। ‘पान सिंह तोमर' के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक धूलिया अपने निर्देशन में बनी इस पहली फिल्म को याद करते हैं, जिसने उन्हें एक पहचान दी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक, धूलिया ने  बताया, "मैं जो कुछ भी हूं, अपनी पहली फिल्म की वजह से हूं। मैं हमेशा युवा निर्देशकों से यह कहता हूं कि आप जो भी पहले करें, उसे पैसे के लिए न करें, बस इसे सबसे अच्छे तरीके से करें...चाहे वह कामयाब हो या नहीं वह एक अलग बात है।" एक असफल फिल्म "चरस" के बाद एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म, "साहेब, बीवी और गैंगस्टर" के साथ दर्शकों के समक्ष आने में उन्हें और सात साल लगे। हासिल फिल्म इरफ़ान के करियर की सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक बन गई। इसमें इरफान एक महत्वाकांक्षी राजनेता के चरित्र के माध्यम से दर्शकों के दिल पर छा गये, जिसके जोड़-तोड़ के हथकंडे देश के कानून में यकीन करने वाले छात्र (जिम्मी शेरगिल द्वारा निभाए गए पात्र) को हथियार उठाने के लिए मजबूर करते हैं। बाद में धूलिया, इरफान खान और जिमी शेरगिल ने 'चरस' और 'साहेब, बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स' में साथ काम किया। शेरगिल तब तक "मोहब्बतें", "मेरे यार की शादी है" और "माचिस" जैसी फिल्में की थीं। उन्होंने याद किया कि कैसे "हासिल" फिल्म को पूरा करने के लिए उन्हें एक फिल्म के सेट से दूसरे सेट तक भागा-दौड़ी करनी पड़ती थी। शेरगिल ने कहा, "अन्य फिल्मों के लिए मेरी तारीखें पहले से ही तय थीं, इसलिए अगर बीच में कुछ भी रद्द या स्थगित हो जाता, तो मैं तुरंत 'हासिल' को वह तारीखें दे देता, क्योंकि मुझे इस फिल्म में बहुत मजा आया। सब कुछ बहुत वास्तविक था, कोई सेट नहीं था, सभी इलाहाबाद की वास्तविक जगहें थीं।" उन्होंने कहा कि धूलिया की निर्देशन तकनीक में "गुरिल्ला-शैली के कैमरों" का उपयोग शामिल था, क्योंकि उन्हें अभिनेताओं को भीड़ में भागने का दृश्य फिल्माना था। उन्होंने आगे कहा, "अगर आप लोगों की प्रतिक्रियाएं भी देखें, तो वे सोच रहे थे कि यह लड़का कौन है, जो एक लड़की के साथ दौड़ रहा है और चिल्ला रहा है। वह कुंभ मेले में इतना विराट, वास्तविक शूटिंग थी... वह सब कुछ बहुत अविस्मरणीय है।" शेरगिल ने फिल्म में अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी इरफान खान को भी प्यार से याद किया और उन्हें अपना "पसंदीदा अभिनेता" बताया। कैंसर के दुर्लभ रूप से अपनी लड़ाई के बाद 29 अप्रैल, 2020 को खान का 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने कहा, "मैं एक बड़े भाई के रूप में उनका बहुत सम्मान करता था। मैं उनके साथ बहुत खुला और बेधड़क नहीं था, अगर हम एक साथ काम करते, तो हम हाल की चीजें साझा करते। यह एक बहुत ही औपचारिक रिश्ता था, कुछ भी ऊपर-नीचे नहीं। शेरगिल ने बताया, "उनका नुकसान हालांकि सभी को हमेशा के लिए रहेगा। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मैंने उनके साथ कुछ फिल्में कीं और अद्भुत यादों को सहेजा, खासकर 'हासिल' से जुड़ी हुई यादें।

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