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भारत की विविध संस्कृतियों को स्वीकार करे दुनिया : ए आर रहमान

चेन्नई. प्रख्यात संगीतकार ए.आर. रहमान का कहना है कि जैसे इंद्रधनुष में कई रंग होते हैं, वैसे ही भारत में विभिन्न संस्कृतियां, भाषाएं और फिल्म उद्योग हैं और अब समय आ गया है कि दुनिया इसे स्वीकार करे। हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के अलावा हॉलीवुड तथा कई विदेशी फिल्म उद्योगों में अपने शानदार संगीत के जरिए दुनिया भर में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले रहमान ने 1992 में मणिरत्नम की फिल्म 'रोजा' से अपने करियर की शुरुआत की थी। फिल्म उद्योग में अपने करियर के तीन दशक पूरे कर चुके रहमान दुनिया के विभिन्न देशों में कई संगीत समारोह में अपनी प्रस्तुति दे कर इस उपलब्धि का जश्न मनाएंगे। दो बार प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार विजेता रहमान ने कहा कि तेलुगू फिल्म 'आरआरआर' के गाने ''नाटु-नाटु'' के अकादमी पुरस्कार जीतने से दुनिया ने भारत की बहुमुखी प्रतिभा की एक झलक देखी है। रहमान ने कहा, ‘‘ दुनिया मानती है कि भारत में एकमात्र फिल्म उद्योग हिंदी फिल्म उद्योग है, जिसे हम बॉलीवुड कहते हैं। तेलुगू गाने ''नाटु-नाटु'' को ऑस्कर जीतते हुए देखना बहुत खुशी का क्षण था। मैं कभी बॉलीवुड शब्द का इस्तेमाल नहीं करता क्योंकि यह बहुत सुविधाजनक है और हॉलीवुड से लिया गया है। जब कोई इन शब्दों का प्रयोग करता है तो मैं उसे सही जानकारी देता हूं।'' उन्होंने 2009 में “स्लमडॉग मिलिनेयर” के “जय हो” के लिए दो ऑस्कर जीते - एक सर्वश्रेष्ठ मूल संगीत के लिए और दूसरा सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के लिए। रहमान ने “स्लमडॉग मिलिनेयर” के लिए ग्रैमी के साथ-साथ गोल्डन ग्लोब भी जीता। रहमान (56) ने कहा, ‘‘ देश में तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, गुजराती और बंगाली समेत कई फिल्म उद्योग हैं। यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया को यह देखना होगा कि हमारे देश में अद्भुत प्रतिभाएं हैं। यदि उन्हें पैसा और काम करने का अवसर तथा मंच प्रदान किया जाए, तो वे आश्चर्यजनक चीजें ला सकते हैं और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां केवल एक संस्कृति नहीं है, बल्कि इंद्रधनुष के रंगों की तरह कई संस्कृतियां हैं।'' रहमान ने कहा कि “रोजा” फिल्म के लिए संगीत देने से ठीक एक साल पहले उन्हें एहसास हुआ कि केवल फिल्मों में संगीत देकर ही अधिक पैसा कमाया जा सकता है ताकि अपने स्टूडियो का विस्तार किया जा सके। ए.आर. रहमान ने अपने शानदार करियर में बेहतर अवसर मिलने के लिए फिल्मकार मणिरत्नम, शंकर, राम गोपाल वर्मा और सुभाष घई को श्रेय देते हुए कहा, ‘‘लेकिन, मैं हमेशा कुछ खास करना चाहता था और खास बात यह है कि भगवान ने मुझे ऐसे लोगों से मिलवाया, जिन्होंने मुझ पर भरोसा कर बेहतर मौके दिए। इन लोगों का साथ मिलना किसी आशीर्वाद से कम नहीं रहा।''

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