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भारी वजन उठाने या कूदने से भी हो सकता है नेवल डिसप्लेसमेंट, यहां हैं इसे ठीक करने वाले 5 योगासन


हम सभी ने पाचन तंत्र के बारे में ज़रूर बात की होगी कि खाना पचाने और शरीर को स्वस्थ रखने में इसका कितना बड़ा योगदान हो सकता है। मगर, हम इसी के केंद्र बिंदु नाभि के बारे में कितना जानते हैं? शायद कुछ भी नहीं! असल में नाभि (Navel) मानव शरीर का मुख्य हिस्सा है, जो शरीर को अच्छी सेहत प्रदान करता है। आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक यदि नाभि चक्र को उसके केंद्र बिंदु से हटा दिया जाए, तो शरीर कई जानलेवा रोगों से घिर सकता है। इसलिए शरीर के पूरी तरह स्वस्थ रहने के लिए नाभि का अपने स्थान पर रहना बहुत जरूरी है। पर कई बार कूदने, गलत तरीके से उठने-बैठने या कुछ भारी सामान उठा लेने से नेवल डिसप्लेसमेंट हो जाती है। जिसे हिंदी में नाभि खिसकना कहा जाता है। यहां हम उन योगासनों  के बारे में बात करने वाले हैं, जो आपको नेवल डिस्प्लेसमेंट की समस्या में राहत दे सकते हैं।
जानिए नेवल डिस्प्लेसमेंट के क्या कारण हो सकते हैं?
अचानक किसी भारी वस्तु को उठाना, चलते, कूदते, दौड़ते, समय टांगों में लचक आ जाना, सोते समय अचानक झटका लगना, एक हाथ से अधिक भार उठाना, मल-मूत्र की गति को रोकना आदि की वजह से आपकी नाभि अपनी जगह से हिल सकती है। इसकी वजह से आपको कोई भी गंभीर बीमारी, भूख-प्यास न लगना, सोने और उठने में अनिश्चितता, मानसिक विकार जैसे डर, एग्जाइटी, क्रोध की वजह से भी नेवल डिसप्लेसमेंट हो सकता है।
नेवल डिसप्लेसमेंट की वजह से होने वाली समस्याएं और लक्षण
कब्ज होना, मल निकल जाता है या बहुत कम मल त्याग होना, बार-बार मल का कम मात्रा में निकलना या आंतों में चिपके रहना।
नेत्र विकार, बालों का झड़ना या व्हाइट डिसचार्ज, पतलापन, बीमारी, मुंह से दुर्गंध आना, रक्त विकार, हृदय विकार आदि।
तो यदि आपको लग रहा है कि आपकी नाभि अपनी जगह से हिल गई है या आप अपने नेवल चक्रा को सही करना चाहते हैं तो ये आसान आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
जानिए नेवल डिसप्लेसमेंट को ठीक करने के लिए योगासन--
1 नौकासन
अपनी पीठ पर लेट जाएं। हाथों को भी समान दूरी पर रखें। सांस लें। धीरे-धीरे दोनों हाथों, धड़ और सिर को जमीन से एक साथ उठाएं। ध्यान रखें कि सिर और पैर लगभग एक ही ऊंचाई पर रहें। जब तक आप इस अवस्था में रह सकते हैं तब तक रहें। इस आसन को पूर्ण नौकासन कहा जाता है। यही क्रम 5-6 बार करें।
2 पश्चिमोत्तानासन
जमीन पर बैठें, पैर आगे रखें। सांस छोड़ते हुए अब दोनों हाथों की अंगुलियों को सामने की ओर रखते हुए दोनों पंजों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। अपने पैरों को फैलाकर रखें। अब धीरे-धीरे सिर को घुटने से स्पर्श कराएं। पीठ सपाट होनी चाहिए। इसे करते समय जल्दबाजी न करें। पिछली स्थिति में आते समय सांस लें।
3 उत्तानपादासन
अपनी पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को अपनी जांघों के किनारों पर रखें। हथेलियों को नीचे की ओर रखें। सांस भरते हुए पैरों को 30 डिग्री तक ऊपर उठाएं। दोनों पैर आपस में जुड़े हुए होने चाहिए। पंजे सामने की ओर रखें। अपनी क्षमता के अनुसार इस पोजीशन को होल्ड करें और पैरों पर हल्का सा दबाव बनाए रखें। इसके बार 5 – 6 बार इसे दोहराएं।
4 सुप्तवज्रासन
सबसे पहले वज्रासन में आ जाएं। फिर कोहनियों के सहारे धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और जमीन पर लेट जाएं। अब पिछले हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाएं और गर्दन को झुकाते हुए सिर को वजन दें। हाथों को छाती पर या जांघों पर रखें। जितना हो सके इस आसन को करें।
5 भुजंगासन
सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब दोनों हथेलियों को अपने कंधे के नीचे रखें। इस दौरान अपनी कोहनियों को पेट के दोनों ओर रखें। अब दोनों हथेलियों को जमीन की ओर दबाते हुए पहले माथा, फिर छाती और अंत में नाभि क्षेत्र को ऊपर उठाएं। इसके बाद धीरे-धीरे गर्दन को पीछे की ओर मोड़ते हुए आसमान की ओर देखने की कोशिश करें। जब तक आप सहज महसूस करें तब तक इस मुद्रा में रहें।

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