पोषक तत्वों से भरपूर है कोयनार, शरीर में खून की कमी को करता है दूर
कोयनार एक प्रकार का साग है, जिसकी सब्जी खाई जाती है। मुननगे की तरह कोयनार के पत्ते और फूल दोनों खाए जाते हैं। इसका इस्तेमाल बुखार, बुखार के बाद की कमजोरी और संक्रमण से होने वाली लंबी बीमारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उसे ठीक करने में किया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन और खनिज होते हैं। आज हम जानेंगे कि इस सब्जी को कैसे बनाया जाता है ।
विभिन्न् भाषाओं में नाम
*रोंगा-कंचन (असमिया),
* कोइराल (बंगाली),
*कनियार (हिंदी),
*देवकंचन (कन्नड़),
*रक्ता चंदन (मराठी),
कैसे बनाएं साग
सामग्री- कोइनर के पत्ते
जीरा (जीरा)
लाल मिर्च, साबूत
प्याज़ (प्याज)
सरसों तेल (सरसों तेल)
कोयनार के अच्छे पत्ते लें। थोड़ा सा सरसों का तेल गरम करें और आँच को कम करने से पहले एक स्मोकिंग पॉइंट पर ले आएँ। जीरे के साथ तेल तडक़ाएं। लाल मिर्च डालें और मिर्च जलने से पहले प्याज डालें और उसे सुनहरा होने तक भून लें। अब इसमें साग डालकर पकाएं। इसे चावल या रोटी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।
कोयनार साग खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता हैं। इसे छत्तीसगढ़ में कोईलार भाजी कहते हैं और झारखंड में कोयनार साग। इसे खाने से शरीर में आयरन और खून की कमी पूरी होती है । इस साग का सेवन करने से कब्ज की शिकायत भी दूर होती है।
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