कोरोना वायरस: उत्तर रेलवे की बनाई पीपीई को मिली हरी झंडी
नई दिल्ली। उत्तर रेलवे के एक वर्कशॉप में बनी व्यक्तिगत सुरक्षा पोशाक (पीपीई) के दो नमूनों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपनी हरी झंडी दे दी है, जिससे रेलवे इकाइयों में इनके उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।
दरअसल, ये पोशाक रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोक पाने में कारगर साबित हुई हैं। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिये पीपीई की काफी कमी है। उत्तर रेलवे ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के ग्वालियर लैब में की गई जांच रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोकने के लिये जैव-सुरक्षात्मक कवरिंग पदार्थ (कपड़े) की प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के उद्देश्य से की गई। उत्तर रेलवे ने कहा, अब इन पीपीई का विनिर्माण भारतीय रेल द्वारा किया जाएगा और इसे रेलवे के अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले चिकित्सक पहनेंगे।
इसके महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने कहा, यह उत्तर रेलवे और भारतीय रेल के लिये एक बड़ी उपलब्धि है। हम कोरोनो वायरस संकट से निपटने में सरकार की कोशिशों में सहयोग करना जारी रखेंगे। रेलवे ने कहा कि इन पीपीई की तकनीकी विशेषताएं अब तैयार हैं। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि अभी प्रतिदिन 20 बना पा रहे हैं लेकिन आने वाले हफ्तों में प्रतिदिन 100 बना लेंगे। रेलवे बोर्ड ने पीपीई के उत्पादन के लिये जोनल रेलवे को आवश्यक निर्देश जारी किये हैं। उत्तर रेलवे के जगाधरी वर्कशॉप ने इन नमूनों को विकसित किया है वह मंजूरी प्राप्त नमूनों की विशेषताएं और उत्पादन में लगने वाली सामग्री की मात्रा सहित तकनीकी ब्योरा अन्य जोनल वर्कशॉप और रेलवे की अन्य उत्पादन इकाइयों के साथ साझा करेगा।
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