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बिहार भाजपा में सांगठनिक बदलावों के संकेत, शाह और नड्डा ने राज्य के प्रमुख नेताओं संग किया मंथन


नयी दिल्ली। बिहार में राजनीतिक उलटफेर के बाद बदली हुई परिस्थितियों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी राज्य इकाई में प्रमुख पदों पर बदलाव कर सकती है और नए चेहरों को प्रमुख जिम्मेदारी सौंप सकती है। ऐसे संकेतों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बिहार के प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में मंथन किया और भावी रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा का शीर्ष नेतृत्च विधानसभा और विधानपरिषद में पार्टी के नेताओं के साथ ही संगठन में भी प्रमुख पदों पर बदलाव की दिशा में काम कर रहा है। पार्टी उन विधानसभा क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, जहां अभी तक वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड के छोटे सहयोगी के रूप में काम करती रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा नौ अगस्त को राजग से नाता तोड़ने के बाद भाजपा की यह पहली बड़ी बैठक है, जिसमें पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी मौजूद है। बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जद(यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने जनादेश का अपमान किया है और पिछले दरवाजे से ‘‘लालू राज'' का प्रवेश कराया है। ज्ञात हो कि भाजपा के नेता ‘‘लालू राज'' का उल्लेख पूर्व मुख्यमंत्री व राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के 15 वर्षों के कार्यकाल के लिए करते हैं और इस दौरान कुशासन रहने का आरोप लगाते हैं। जायसवाल ने दावा किया कि गरीब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘‘मसीहा'' मानते हैं और भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 35 सीटें जीतेगी। ज्ञात हो कि जद (यू) ने पिछले दिनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ हाथ मिला लिया था और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी। भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी अब उन समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आक्रामक रुख अख्तियार करेगी, जो वह अभी तक जद (यू) के कारण नहीं करती थी। उसका जोर खासकर अति पिछड़ा और दलितों के एक वर्ग को लुभाने पर होगा, जिन्हें मुख्यमंत्री कुमार की मजबूती का प्रमुख आधार माना जाता है। पार्टी का जोर पूरे राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने का भी रहेगा क्योंकि जद(यू) के साथ गठबंधन के कारण वह आधे के करीब सीटों पर ही उम्मीदवार खड़े करती थी। पार्टी मुख्यालय में हुई इस बैठक में शाह और नड्डा के अलावा भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष भी शामिल थे। बिहार से आने वाले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय के अलावा वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव तथा बिहार के सह प्रभारी हरीश द्विवेदी भी इसमें उपस्थित थे। इनके अलावा संजय जायसवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी तथा पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी इस बैठक में भाग लिया। पार्टी नेताओं से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की भावी रणनीति पर भी चर्चा की गई। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को ही अपनी मंत्रिपरिषद में विस्तार किया है। उनकी मंत्रिपरिषद में 31 विधायकों को शामिल किया गया है। इनमें ज्यादातर सदस्य राजद के हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित नयी सरकार में राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। कुमार के दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार मंगलवार को हुआ।
 

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