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बेहतर बहीखातों और मध्यम अवधि के वृद्धि परिदृश्य से भारत वैश्विक झटकों से निपट रहाः सीईए

नयी दिल्ली.  मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि भारत वैश्विक झटकों का सामना कहीं बेहतर घरेलू स्थिति, कॉर्पोरेट और वित्तीय क्षेत्र के मजबूत बहीखातों के समर्थन से कर रहा है और इसका मध्यम अवधि का विकास दृष्टिकोण भी अच्छा है। नागेश्वरन ने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘तेल की कीमतों जैसे जोखिमों को देखें तो मेरा मानना है कि बाहरी स्थिति से निपटा जा सकता है लेकिन परेशान करने वाली कुछ चीजें सामने आ सकती हैं।'' उन्होंने आगे कहा कि लघु अवधि की अनजान परिस्थितियों को देखते हुए मध्यम अवधि की संभावनाओं पर ध्यान देना बेहतर होगा। इसके अलावा वर्ष 2030 तक देश के समक्ष पैदा होने वाली स्थितियों पर भी नजर रखनी होगी। नागेश्वरन ने कहा, ‘‘मध्यम अवधि का वृद्धि परिदृश्य वास्तव में बहुत ही रचनात्मक है क्योंकि वृद्धि को लेकर हमारा बकाया पिछले दशक में पूरा हो चुका है। हमें वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्र में बहीखातों में सुधार करना पड़ा था। हम एक बेहतर घरेलू, कॉर्पोरेट और वित्तीय क्षेत्र के बेहतर बहीखाते के साथ वैश्विक झटकों का सामना कर रहे हैं।'' कर्ज और जीडीपी अनुपात अधिक होने के बारे में उन्होंने कहा कि भारत की व्यापक आर्थिक बुनियाद मजबूत है। बल्कि वैश्विक स्तर पर अस्थिर परिस्थितियों के बीच भारत ने जो कर्ज लिया है वह उन देशों से कम है जिनकी रेटिंग भारत से बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश का चालू खाता घाटा चालू वित्त वर्ष में 3-3.5 फीसदी रह सकता है। वृद्धि के मध्यम अवधि के परिदृश्य के बारे में कहा कि यह 6.5-7 फीसदी के बीच रह सकता है।

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