आयुर्वेदिक दवा ‘फीफाट्रोल’ श्वसन नलिका में संक्रमण के इलाज में कारगर: अध्ययन
नयी दिल्ली। जड़ी-बूटियों से तैयार आयुर्वेदिक दवा ‘फीफाट्रोल’ ऊपरी श्वसन नली में संक्रमण के उपचार में कारगर है। इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड योग में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने देश के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में ऊपरी श्वसन नली में संक्रमण (यूआरटीआई) वाले 203 रोगियों पर अध्ययन किया। उपचार के दौरान रोगियों को दिन में दो बार फीफाट्रोल दी गयी और उनके स्वास्थ्य मानकों को पहले, चौथे और सातवें दिन जांचा गया। अध्ययन में पाया गया कि रोगियों की स्थिति में चौथे दिन 69.5 प्रतिशत और सातवें दिन 90.36 सुधार हुआ।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ‘‘चौथे और सातवें दिन लक्षणों में कमी का अध्ययन करके प्रभाव का आकलन किया गया। इस अध्ययन में यूआरटीआई के लक्षणों में सुधार पर फीफाट्रोल के प्रभाव के बारे में साक्ष्य एकत्रित किये गये।’’ उन्हें रोगियों पर दवा का कोई प्रतिकूल प्रभाव नजर नहीं आया।
अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि फीफाट्रोल न केवल यूआरटीआई के उपचार में प्रभावी पाया गया, बल्कि फ्लू और उससे जुड़े बुखार, नाक बंद होने या नाक बहने जैसे लक्षणों के सफल प्रबंधन के लिए भी आयुर्वेद चिकित्सकों ने इसे स्वीकार किया।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवा फीफाट्रोल का उल्लेख सरकार संचालित राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम द्वारा पिछले साल संकलित ‘कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकियों का संग्रह (पता लगाना, परीक्षण और उपचार)’ में किया गया।
एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने कहा कि सामान्य रूप से आयुर्वेदिक दवाओं को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों के रूप में पाया गया है।उन्होंने कहा कि हालांकि, मौजूदा सरकार आयुर्वेद के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है और इस बात के प्रमाण हैं कि औषधीय जड़ी-बूटियों से संक्रामक रोगों से प्राथमिक स्तर पर बचाव किया जा सकता है। फीफाट्रोल में त्रिभुवन कीर्ति रस, मृत्युंजय रस और संजीवनी वटी के साथ गुडुची, दारुहरिद्रा, चिरायता, कुटकी, तुलसी, अपामार्ग और करंज का अर्क होता है।
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