ब्रेकिंग न्यूज़

 देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में 10 प्रतिशत से भी कम महिला विधायक
 नयी दिल्ली। राजनीतिक दल महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की बातें बढ़-चढ़कर करते हैं लेकिन संसद एवं विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व निराशाजनक तस्वीर पेश करता है। वास्तविकता यह है कि देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। लोकसभा में नौ दिसंबर 2022 को विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पुडुचेरी, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से कम है।
आंकड़ों के अनुसार, जिन राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से अधिक है, उनमें बिहार (10.70), छत्तीसगढ़ (14.44), हरियाणा (10), झारखंड (12.35), पंजाब (11.11), राजस्थान (12), उत्तराखंड (11.43), उत्तर प्रदेश (11.66), पश्चिम बंगाल (13.70), दिल्ली (11.43) शामिल हैं। हाल में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में जीतने वाली महिलाओं की संख्या 8.2 प्रतिशत है, जबकि हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार केवल एक महिला उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहीं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी 14.94 प्रतिशत और राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत है। वहीं, पूरे देश में विधानसभाओं में महिला विधायकों का औसत केवल आठ प्रतिशत है। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने संसद एवं राज्य विधानसभाओं में महिला सांसदों/विधायकों के प्रतिनिधित्व एवं महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार का संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाने का विचार है? केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजीजू ने सदन में कहा था, ‘‘लैंगिक न्याय सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है। इस मुद्दे पर संसद के समक्ष संविधान संशोधन विधेयक लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों को सहमति के आधार पर सावधानीपूर्वक विचार विमर्श करने की आवश्यक्ता है।'' हाल में बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल यूनाइटेड, तृणमूल कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों ने सरकार से महिला आरक्षण विधेयक को नए सिरे से संसद में पेश करने एवं पारित कराने की मांग की है।
इस विषय पर बीजू जनता दल के राज्यसभा सदस्य डॉ. सस्मित पात्रा ने  कहा कि उनकी पार्टी ने संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार विधेयक लाती है तो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी।'' उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के विषय पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बार-बार अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं। कुछ दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की तथा शिरोमणि अकाली दल, जदयू, द्रमुक जैसे दलों ने इसका समर्थन किया था। शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अब समय आ गया है कि महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाए और महिलाओं को उनका हक दिया जाए। जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने का समय है और सरकार को यह विधेयक लाना चाहिए । गौरतलब है कि लंबे समय से महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग हो रही है। इस विधेयक को पहली बार 1996 में संसद में पेश किया गया था। इसके बाद इसे कई बार पेश किया गया। साल 2010 में इस विधेयक को राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद इस विधेयक की मियाद खत्म हो गई। file photo

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english