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एक जनवरी को 159 लाख टन होगा गेहूं का भंडार, बफर मानदंड से कहीं अधिक : सरकार
नयी दिल्ली.  सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक जनवरी, 2023 को केंद्रीय पूल में गेहूं का भंडार करीब 159 लाख टन का होगा जबकि बफर मानदंड के हिसाब से यह 138 लाख टन ही होना चाहिये था। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘भारत सरकार के पास एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ पीएमजीकेएवाई (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) के अतिरिक्त आवंटन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय पूल के तहत पर्याप्त खाद्यान्न स्टॉक है।'' एक जनवरी, 2023 तक लगभग 159 लाख टन गेहूं उपलब्ध होगा, जो 138 लाख टन के बफर मानक की जरूरत से कहीं अधिक है। 12 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में करीब 182 लाख टन गेहूं उपलब्ध है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत सरकार गेहूं के मूल्य परिदृश्य से अच्छी तरह वाकिफ है और अन्य जिंसों के साथ-साथ साप्ताहिक आधार पर नियमित रूप से इसकी निगरानी कर रही है और जरूरत पड़ने पर सुधारात्मक कदम उठा रही है।'' केंद्र ने आगे किसी भी मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं और 13 मई, 2022 से निर्यात नियम लागू किए गए हैं। बयान में कहा गया है कि इसके अलावा एनएफएसए के साथ-साथ पीएमजीकेएवाई के तहत आवंटन भी कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के मकसद से केंद्रीय पूल में पर्याप्त गेहूं स्टॉक रखने के लिए चावल के पक्ष में संशोधित किया गया है। केंद्र ने इस साल गेहूं की फसल का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जबकि पिछले साल आरएमएस (रबी विपणन सत्र) 2022-23 के लिए एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था। इस प्रकार, एमएसपी में 110 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ-साथ काफी अच्छी जलवायु परिस्थितियों से यह उम्मीद की जाती है कि अगले सत्र के दौरान गेहूं का उत्पादन और खरीद सामान्य रहेगी। बयान में कहा गया है, ‘‘अगले सत्र में गेहूं की खरीद अप्रैल, 2023 से शुरू होगी और शुरुआती आकलन के मुताबिक पिछले साल की तुलना में गेहूं की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है।'' सरकार ने कहा कि उसने यह सुनिश्चित किया है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध हो और कीमतें नियंत्रण में रहें। सरकार ने कहा, ‘‘हालांकि भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते खुले बाजार में किसानों द्वारा एमएसपी से अधिक कीमतों पर बिक्री के साथ-साथ कम उत्पादन के कारण पिछले सत्र के दौरान गेहूं की खरीद कम थी, फिर भी केंद्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक अब भी उपलब्ध होगा जिससे अगली गेहूं की फसल आने तक देश की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।'' रबी विपणन सत्र 2022-23 (अप्रैल-जून) में गेहूं की खरीद वर्ष 2021-22 के 433.44 लाख टन के मुकाबले घटकर 187.92 लाख टन रह गई, क्योंकि गेहूं का बाजार मूल्य एमएसपी से कहीं अधिक था। भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10.96 करोड़ टन से घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया। इसकी वजह पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में गर्मी की वजह से उपज घटना है।

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