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राष्ट्रपति मुर्मू ने युवाओं से नए भारत, नए विश्व के निर्माण के लिए बड़े सपने देखने को कहा

नयी दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को युवाओं से नए भारत और विश्व के निर्माण के लिए नवीन और बड़े सपने देखने का आह्वान किया और कहा कि अगर उनका स्वप्न केवल करियर तक सीमित रहेगा, तब वे अपने और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 99वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं ओडिशा के छोटे से गांव से शहर जाकर पढ़ने वाली अपने गांव की पहली लड़की थी । आप सब के सहपाठियों में भी ऐसे कई विद्यार्थी होंगे जिनके परिवार या गांव से, उनसे पहले कोई विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाया होगा। ऐसे विद्यार्थी बहुत प्रतिभावान और संघर्षशील होते हैं।'' उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसी स्थितियां उत्पन्न की जाती हैं, जिनके कारण ऐसे विद्यार्थियों में हीन-भावना घर कर जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संवेदनशील समाज में ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे पहली पीढ़ी के छात्रों को सम्मान और प्रोत्साहन देना सभी अध्यापकों और छात्रों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत कम सुविधा-सम्पन्न परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील होने के साथ-साथ सभी का अपने आप से कुछ बुनियादी सवाल करने चाहिए। उन्होंने छात्रों एवं युवाओं से कहा कि यदि आपका सपना केवल अपने करियर तक सीमित रहेगा, तो आप सब अपने साथ और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि आपकी (छात्रों की) सोच का दायरा और आपकी ज़िम्मेदारी कहीं अधिक व्यापक होनी चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, आप सबसे मैं अनुरोध करती हूं कि नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए आप नवीन स्वप्न देखिए, और बड़े सपने देखिए।'' उन्होंने कहा कि बेहतर मनुष्य बनना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है, जीवन में ‘बड़ा बनना' अच्छी बात है लेकिन ‘अच्छा होना' इससे भी बड़ी बात है। मुर्मू ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव की बात है कि अकादमिक सत्र 2022-23 के लिए स्नातक स्तर पर प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों में 52 प्रतिशत संख्या ‘‘हमारी बेटियों'' की है। उन्होंने कहा, ‘‘इस बदलाव में हमें एक नए, विकसित और समावेशी भारत की तस्वीर दिखाई देती है।''
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम सभी भाषाओं और संस्कृतियों का आदर करें, स्वागत करें, लेकिन अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहें। जड़ों से ही संजीवनी मिलती है, सृजनशीलता मिलती है।'' इस समारोह में 51 लड़कों और 119 लड़कियों सहित 170 छात्रों को मेडल और पुरस्कार प्रदान किये गए। इस अवसर पर 1,57,290 स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को डिजिटल डिग्रियां प्रदान की गई जिसमें 54.7 प्रतिशत लड़कियां और 45.3 प्रतिशत लड़के शामिल हैं। इस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह भी मौजूद थे।

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