तेलंगाना में दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने किया आत्मसमर्पण, 40 साल बाद मुख्यधारा में वापस लौटे
नई दिल्ली। प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-माओवादी) के दो वरिष्ठ नेताओं ने आज गुरुवार को तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। राचाकोंडा पुलिस आयुक्त जी. सुधीर बाबू ने बताया कि काकरला सुनीता उर्फ बद्री, जो दंडकारण्य विशेष जोनल समिति (डीके एसजेडसी) की वरिष्ठ राज्य समिति सदस्य और चेनुरी हरीश उर्फ रामन्ना, तेलंगाना राज्य समिति के एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम) थे, ने मुख्यधारा में वापस लौटने का फैसला किया है।
पुलिस के मुताबिक, 62 वर्षीय सुनीता 40 साल से ज्यादा समय तक माओवादी आंदोलन में सक्रिय रहीं। वह सीपीआई (माओवादी) की क्षेत्रीय राजनीतिक स्कूल और शिक्षा विभाग समिति की सदस्य थीं और पार्टी की रणनीतियां तैयार करने, दस्तावेज बनाने और क्रांति जैसी पार्टी पत्रिकाओं के प्रकाशन में अहम भूमिका निभाती थीं।
सुनीता का माओवादी विचारधारा से जुड़ाव 1985 में इंटरमीडिएट पढ़ाई के दौरान राजामुंदरी में हुआ, जब वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (आरएसयू) से प्रभावित हुईं। उनके पिता काकरला सत्यनारायण क्रांतिकारी राइटर्स एसोसिएशन (विरसम) के नेता थे और उनके घर अक्सर वरवर राव जैसे बड़े माओवादी नेता आते थे। जनवरी 1986 में उन्होंने सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार में शामिल होकर भूमिगत जीवन शुरू किया। इसी साल अगस्त में उन्होंने टीएलएन चलं उर्फ गौतम उर्फ सुधाकर से शादी की।
1990 के दशक में सुनीता ने नल्लमल्ला जंगल के फॉरेस्ट डिविजनल कमेटी में काम किया और कई मुठभेड़ों में शामिल रहीं। बाद में वह आंध्र-ओडिशा सीमा पर सक्रिय रहीं और 2006 में दंडकारण्य भेजी गईं। पुलिस ने बताया कि वह 5 जून 2025 को अन्नापुरम नेशनल पार्क मुठभेड़ में भी मौजूद थीं, जिसमें उनके पति चलं की मौत हो गई थी।
दूसरे नेता, 35 वर्षीय हरीश, भूपलपल्ली जिले के रहने वाले हैं और 2006 में 10वीं की पढ़ाई के दौरान बीसी वेलफेयर हॉस्टल में रहते हुए माओवादी विचारधारा से प्रभावित हुए थे। पुलिस आयुक्त ने कहा कि इन दोनों का आत्मसमर्पण तेलंगाना पुलिस की रणनीति की सफलता है। उन्होंने राज्य के सभी भूमिगत माओवादियों से अपील की कि वे अपने गांव लौटें और राज्य के विकास में हिस्सा लें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मुख्यधारा में लौटने वाले सभी माओवादियों को तेलंगाना सरकार की पुनर्वास योजना के तहत सभी लाभ दिए जाएंगे। -
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