भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने प्राचीन ज्ञान, भारत की अंतरिक्ष उड़ान के भविष्य पर चर्चा की
नयी दिल्ली. देश के गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने शनिवार को मानव अंतरिक्ष उड़ान के गहरे मायने को रेखांकित करते हुए इसे प्राचीन ज्ञान, विनम्रता, वैज्ञानिक खोज और पृथ्वी से परे अन्वेषण के नयी पीढ़ी के सपनों से जोड़ा। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर एक सत्र के दौरान बोलते हुए ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ने कहा कि भारत के सभ्यतागत ज्ञान ने आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान का बहुत पहले अनुमान लगा लिया था। उन्होंने कहा, "हम एक प्राचीन सभ्यता हैं। मुझे हमेशा लगता रहा है कि हम इतने आगे थे कि हम ऊब गए और दुनिया को हमसे आगे निकल जाने दिया। अब हम फिर से पीछे लौट रहे हैं।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे खगोल विज्ञान और ज्योतिष एक समय भारत के ज्योतिष शास्त्र में एकीकृत थे। महाकाव्यों के साथ तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि रामायण में भी "पूरा मिशन नियंत्रण" समाहित है, जब हनुमान ने अपने दल के सहयोग से "एक अंतरिक्ष यात्री की तरह" छलांग लगाई थी। अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के बारे में, नायर ने कहा, "हम एथलीट की तरह प्रशिक्षण लेते हैं, वैज्ञानिकों और इंजीनियर की तरह अध्ययन करते हैं, और हमें राजनयिकों की तरह व्यवहार करना सिखाया जाता है।" ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरिक्ष अन्वेषण पृथ्वी पर जीवन से जुड़ा रहना चाहिए। उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष में हम जो कुछ भी करते हैं, उसका पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में उपयोग होना ज़रूरी है।" उन्होंने मानव अंतरिक्ष उड़ान में विनम्रता के महत्व पर भी प्रकाश डाला। कृष्णन ने कहा, "अंतरिक्ष में ऊपर जाने के लिए आपको ज़मीन से जुड़ा होना होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अभी भी वैश्विक अनुभव से बहुत कुछ सीखना है। ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों की भूमिका अंतरिक्ष यान संचालित करने से कहीं आगे तक फैली हुई है। उन्होंने कहा, "मानव अंतरिक्ष उड़ान का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान भी है। यही मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को "अग्रणी" बताते हुए कहा कि वे मनोवैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर प्रशिक्षण प्रोटोकॉल बनाने तक, प्रयोगात्मक अध्ययन के लिए अपना शरीर समर्पित करते हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि पृथ्वी को कक्षा से देखने से उन्हें एक नया और गहरा दृष्टिकोण मिला। शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए उड़ान भरी थी। उन्होंने अंतरिक्ष को "सीमाओं को पार करने और प्रकृति को एकीकृत करने की परिवर्तनकारी क्षमता" वाला बताया। उन्होंने कहा, "आप पृथ्वी को कई अलग-अलग कोणों से देख पाते हैं। आपको सचमुच ऐसा लगता है जैसे आप इस पूरे ग्रह को जान गए हैं।" राकेश शर्मा की उड़ान के बाद से चार दशक के अंतराल पर उन्होंने कहा, "उस समय, यह एक बार की घटना थी। आज, बच्चे मुझसे गंभीरता से पूछते हैं कि अंतरिक्ष यात्री कैसे बनें। इस बार, यह एक संभावना है।
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