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 बारिश से पहले मनरेगा का पैसा वर्षा जल संचयन के काम में लगाया जाए: मोदी
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विश्व जल दिवस पर ‘‘जल शक्ति अभियान : कैच द रेन'' की शुरुआत की और कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) का एक-एक पैसा बारिश आने तक वर्षा का जल संचयन करने के काम में लगाया जाए। देश में वर्षा का अधिकतर जल बर्बाद होने पर अपनी चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बारिश का पानी जितना बचाया जाएगा, भूजल पर निर्भरता उतनी ही कम होगी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत की आत्म-निर्भरता जल संसाधनों तथा जल संपर्क पर निर्भर है और जल के प्रभावी संरक्षण के बिना भारत का तीव्र गति से विकास संभव नहीं है। ‘‘कैच द रेन'' अभियान के शुभारम्‍भ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाने और ऐसे प्रयासों में आम जन की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पूर्वज हमारे लिये जल छोड़कर गए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिये इसका संरक्षण करें। चिंता की बात है कि भारत में अधिकतर वर्षा जल बर्बाद हो जाता है। बारिश का पानी हम जितना बचाएंगे, भूजल पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाएगी। इसलिए कैच द रेन अभियान का सफल होना बहुत जरूरी है।'' उन्होंने प्रत्येक गांव में आगामी सौ दिन वर्षा जल संरक्षण की तैयारियों को समर्पित किये जाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार जल शक्ति अभियान में विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानसून आने में अभी कुछ हफ्तों का समय है इसलिए इसके लिए अभी से पानी को बचाने की तैयारी जोरों पर करनी है। उन्होंने कहा, ‘‘मानसून के आने से पहले ही टैंकों, तालाबों, कुओं की सफाई कर पानी संग्रह की उनकी क्षमता को बढ़ाना है। इसमें कोई बहुत बड़े इंजीनियरिंग की जरूरत नहीं है। गांव के लोगों को ये चीजें मालूम हैं। वो बड़ी आसानी से कर लेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो चाहूंगा अब मनरेगा का एक-एक पैसा, एक-एक पाई बारिश आने तक सिर्फ-सिर्फ इसी काम के लिए लगे। मनरेगा का पैसा अब कहीं और नहीं जाना चाहिए और मैं चाहूंगा इस अभियान को सफल बनाने में सभी देशवासियों का सहयोग आवश्यक है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार सरकार जल परीक्षण पर गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान 4.5 लाख महिलाओं को जल के परीक्षण के लिये प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद पहली बार पानी की जांच को लेकर किसी सरकार द्वारा इतनी गंभीरता से काम किया जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि पानी के परीक्षण के इस अभियान में हमारे गांव में रहने वाली बहनों-बेटियों को जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ डेढ़ साल पहले देश में 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ 3.5 करोड़ परिवारों के घर नल से जल आता था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद इतने कम समय में ही लगभग 4 करोड़ नए परिवारों को नल का कनेक्शन मिल चुका है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षा जल से संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी से कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने केन-बेतवा संपर्क परियोजना को इसी दूर-दृष्टि का हिस्सा बताया।

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