सारे तीरथ बार-बार , गंगा सागर एक बार , लेकिन अब समुद्र के बढ़ते जलस्तर से खतरे में कपिलमुनि मंदिर का अस्तित्व , ग्लोबल वार्मिंग का असर
हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल गंगा सागर पर ग्लोबल वार्मिंग का जबरदस्त असर हुआ है | यहां स्थित कपिलमुनि आश्रम मंदिर के चारों ओर समुद्र का पानी दिनों दिन बढ़ रहा है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि जिस तेजी से समुद्री जल में बढ़ोत्तरी हो रही है , उससे कहीं ऐतिहासिक कपिलमुनि आश्रम डूब ना जाएं | विशेषज्ञ इसे ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर देख रहे है | मकर संक्राति पर लाखों श्रद्धालु गंगा सागर में जुटते है | एक अनुमान के अनुसार गंगा सागर तीर्थ में यूँ तो सालाना लाखों लोग आते है , लेकिन मकर संक्रांति के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या 12 से 15 लाख के लगभग होती है | गंगा सागर में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु कपिलमुनी आश्रम मंदिर में दर्शन करते है | लेकिन अब जन भावनाओं से जुड़े गंगासागर स्थित कपिलमुनि मंदिर का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है |जानकारों के मुताबिक समुद्र के बढ़ते जलस्तर से बंगाल की खाड़ी के अंतर्गत सागर तट पर स्थित इस मंदिर पर खतरा मंडराने लगा है | विशेषज्ञों के अनुसार गत महीने चक्रवाती तूफान बुलबुल के बाद एक तरफ समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है | लिहाजा निकट भविष्य में समुद्र का जल कपिलमुनि मंदिर की चौखट को पर कर सकता है | यदि ऐसा हुआ तो इस मंदिर के अस्तित्व पर सवालियां निशान लग जाएगा |
चेन्नई विश्वविघालय के विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम ने हाल ही में इस मंदिर के इर्द गिर्द बढ़ते जल स्तर की समीक्षा की है | इस खतरे को भांपते हुए शहरी विकास विभाग, पर्यावरण विभाग, गंगासागर- बकखाली विकास बोर्ड और दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श भी हुआ | इस बैठक में समुद्र के बढ़ते जलस्तर के खतरे से मंदिर को बचाने के लिए कपिलमुनि मंदिर से 2.5 किमी के दायरे में समुद्र तट पर कंक्रीट की दीवार बनाने पर सहमति व्यक्त की गई | विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि दीवार निर्माण का काम 2020 के दिसंबर तक पूरा करना अनिवार्य है | अन्यथा मंदिर को नुकसान हो सकता है | इस बार 14 जनवरी 2020 को आयोजित मकर संक्रांति महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए अभी से श्रद्धालुओं का जत्था गंगा सागर पहुँचने लगा है |
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