इस दिशा में रखें घर का बेडरुम, मेन गेट और किचन
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
लोग जीवन में ऐसी मुश्किल परिस्थिति का सामना करते हैं जिससे निकल पाना आसान नहीं होता है। ऐसा कई बार घर में वास्तु दोष की वजह से भी होता है। इसके लिए हमारे वास्तु शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिसे अपनाकर जीवन में सुख-समृद्धि वापस लाई जा सकती है। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं। आइए आज जानते हैं वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम किस दिशा में होने चाहिए।
पूर्व दिशा- पूर्व दिशा में सूर्योदय होता है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए घर का मेनगेट इस दिशा में ही होना चाहिए।
पश्चिम दिशा- आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। हालांकि, यह भी ध्यान रखें कि रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो।
उत्तर दिशा- उत्तर दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट भी इसी दिशा में है और अति उत्तम है।
दक्षिण दिशा- दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन या शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में कलह बढ़ता है।
उत्तर-पूर्व दिशा- इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए।
उत्तर-पश्चिम दिशा- इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पूर्व दिशा- इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पश्चिम दिशा- इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए।
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