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कब है तुलसी विवाह? यहां जानिए सही तारीख और मुहूर्त

-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में कार्तिक माह का बहुत महत्व ज्यादा महत्व है। इस माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं, उनके जागने के बाद ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू होते हैं। इसके साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह संपन्न करवाने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी जी और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। शादीशुदा जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल कब है तुलसी विवाह...
तुलसी विवाह 2023 कब है ?
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस साल 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी को है, इसलिए 23 नवंबर को ही तुलसी विवाह मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह किया जाएगा।
तुलसी विवाह 2023 मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.03 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन 23 नवंबर की रात 09.01 बजे होगा। एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 05.25 से रात 08.46 तक है। आप चाहें तो इस मुहूर्त में तुलसी विवाह संपन्न करा सकते हैं।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
    तुलसी विवाह के लिए सबसे पहले लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं।
    गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें।
    दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालिग्राम को स्थापित करें।
    दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप सजाएं।
    अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
    फिर शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें।
    तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं, चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रृंगार करें।
    इसके बाद सावधानी से चौकी समेत शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा कराएं।
    पूजा संपन्न होने के बाद तुलसी व शालिग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें।
    साथ ही प्रसाद सभी में वितरित करें।
तुलसी विवाह का महत्व
मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कन्या न हो तो उसे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य जरूर कमाना चाहिए। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न करता है उसके मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

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