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 महारास से पहले श्रीकृष्ण ने मुरली बजायी, क्या उसका कुछ विशेष प्रयोजन था?

जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 106

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा साधकों एवं जिज्ञासुओं के प्रश्न एवं शंकाओं का समाधान

साधक का प्रश्न ::: महारास से पहले श्रीकृष्ण ने मुरली बजायी, क्या उसका कुछ विशेष प्रयोजन था ?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: अधिकारी जीवों को महारास का रस प्रदान करने के लिए, उनको कैसे बुलाया जाय, अत: श्रीकृष्ण ने मुरली बजायी। रास का पहला अध्याय शुरू हुआ, उपक्रम;

निशम्यगीतं तदनंगवर्धनं व्रजस्त्रिय: कृष्णगृहीतमानसा:।
आजग्मुरन्योन्यमलक्षितोद्यमा: स यत्र कान्तो जवलोलकुण्डला:॥
(भागवत 10-21-4)

मुरली बजी और जितने अधिकारी थे रास के, उनके कान में गई। फिर जिस-जिस के कान में मुरली गई उस मुरली ने उसके हृदय को चुरा लिया क्योंकि वो अधिकारी था। श्रीकृष्ण ने अपनी मुरली की ध्वनि से उसके हृदय को चुरा लिया। अब जब हृदय ही नहीं है तो वो जीव भागा। ये कौन ले जा रहा है मेरा हृदय, मेरा अंत:करण। तो जहाँ से मुरली की आवाज़ आ रही थी, उसी तरफ भागा। हृदय के बिना, अंत:करण के बिना, शरीर का जीवन नहीं रह सकता। इस प्रकार मुरली ध्वनि में जादू भरकर श्रीकृष्ण ने सब गोपियों को एकत्र कर लिया। इस मुरली में इस प्रकार जादू भर दिया कि केवल अधिकारी जीवों को ही सुनाई दी।

00 सन्दर्भ ::: जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
00 सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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