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 शारीरिक स्वस्थता की सजगता और महत्त्वता के विषय में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उद्बोधन अंश!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 249

(भूमिका ::: साधक तथा गृहस्थ, दोनों के लिये शरीर की स्वस्थता परमावश्यक है। क्योंकि शरीर से ही दोनों अपने कर्तव्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रयत्न करते हैं। इसलिये शरीर की स्वस्थता पर विशेष ध्यान देने की बात हमारे यहाँ शास्त्रों में कही गई है। 'जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय' के वार्षिक समारोह, वर्ष 2010 के अवसर पर जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने इसी संबंध में एक संक्षिप्त प्रवचन दिया था। निम्नलिखित प्रवचन उनके सम्पूर्ण प्रवचन का एक अंश ही है, आइये इस अंश से हम अपना लाभ उठावें..)

(आचार्य श्री की वाणी यहाँ से है...)

..हमारे शास्त्रों में धर्म की परिभाषा की गई है;

यतोभ्युदय निःश्रेयस सिद्धि: स धर्मः।
(वैशेषिक दर्शन)

जिससे इहलौकिक और पारलौकिक परमार्थ सिद्ध हो, उसका नाम धर्म है। भावार्थ ये कि हम दो हैं; एक हम नाम की आत्मा और एक हम नाम का शरीर। दोनों का उत्थान कम्पलसरी है। अगर कोई कहता है कि शरीर मिथ्या है तो ऐसा कोई विश्व में ज्ञानी नहीं है जो शरीर के बिना एक सेकण्ड भी रह सके।

आत्मा और शरीर का संबंध अभिन्न है। बिना शरीर के आत्मा नहीं रहती, सदा साथ रहती है। तो शरीर की उन्नति भी परमावश्यक है। वेद कहता है;

अत्याहारमनाहारम्।

देखो! खाना, पीना, सोना, सब संयमित रखना, मनुष्यों! अगर इसमें गड़बड़ करोगे तो शरीर में अनेक प्रकार के रोग होंगे तो तुम्हारा मन भगवान की ओर नहीं जा सकता। क्योंकि तुम्हारे भीतर देहाभिमान है, देह की फीलिंग होगी और देह के दुःख से भगवान के चिन्तन के स्थान पर देह का चिन्तन होगा। इसलिये शरीर को स्वस्थ रखने के लिये आहार-विहार सब संयमित होना चाहिये। हमने इसको कोई महत्त्व नहीं दिया। भगवान ने गीता में भी कहा है;

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।
(गीता 6-17)

अर्जुन! कोई भी कर्मी, ज्ञानी, योगी हो, शरीर को स्वस्थ रखना परमावश्यक है। अगर नहीं रखोगे तो;

तनु बिनु भजन वेद नहिं बरना।

शरीर के बिना भगवान की उपासना कैसे करोगे? इसलिये डॉक्टरों के अनुसार समझ करके, वैज्ञानिक ढंग से कितना विटामिन, प्रोटीन, ए बी सी डी, ये सब लेना चाहिये। क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखना है। कितना ही बड़ा आदमी हो खरबपति हो अगर वो स्वयं स्वस्थ रहने का संयम नहीं करता तो करोड़ों डॉक्टर लगा दो उसके पीछे, वो कुछ नहीं कर सकते डॉक्टर। वो रहता रहेगा, पूरे जीवन बिस्तर पर पड़ा रहेगा। क्यों?

अरे! वो कभी व्यायाम नहीं करता, वो कभी विटामिन प्रोटीन का ध्यान नहीं रखता, मनमाना खाता है, मनमाना सोता रहता है तो फिर दण्ड भोगना पड़ेगा। डॉक्टर साहब क्या करेंगे बेचारे। इसलिये शरीर स्वस्थ रखने के लिये हमको सावधान रहना है।

(प्रवचनकर्ता : जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)

०० सन्दर्भ : साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2010 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित : राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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