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  भक्ति अथवा साधना मार्ग में साधना और सिद्धान्त में से किसका अधिक महत्व है? जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी के श्रीमुख से!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 267

(भूमिका - किस प्रकार साधना और सिद्धान्त; ये दोनों ही अलग-अलग प्रकार से साधक के लिये आवश्यक है, इसी विज्ञान को जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज नीचे के उद्धरण में समझा रहे हैं..)

साधक का प्रश्न ::: भक्ति के लिये साधना अधिक आवश्यक है या सिद्धान्त ज्ञान?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: सत्य व्यवहार हरि गुरु से करना है। संसार में तो काम कर दो किसी को मन देने की जरूरत नहीं। बायजीद, रहमान दो फकीर रातभर खुदा की बातें करते रहे, कुरान की बातें करते रहे। तो सबेरे रहमान ने कहा कि आज की रात धन्य हो गई कि हम लोग खुदा की बात करते रहे। तो दूसरे फकीर ने कहा कि नहीं आज की रात बहुत खराब गई कि बातें ही करते रहे, खुदा का ध्यान नहीं किया।

तो रूपध्यान, साधना ये तो ए-वन क्लास की चीज है। लेकिन उससे थक जाय तो गुरु के सिद्धान्त का श्रवण, पठन, मनन ये सब करें, लीला का चिन्तन पठन करें। तो श्रवण वगैरह साधना जो है ये नम्बर दो की है। नम्बर एक है रूपध्यान। वो चाहे गुरु का ध्यान करे, चाहे भगवान् का ध्यान करे, मन का लगाव एक जगह पर होता है। लेक्चर तो होता है कि हमारा जो अज्ञान है वो जाय या हमारा जो ज्ञान है पहले वाला गुरु ने दिया था वो ताजा हो जाय। पक्का हो जाय। बार-बार सुनने से तत्त्वज्ञान पक्का होता है लेकिन खाली खाना पकाने की किताब को रट ले इससे पेट नहीं भरेगा। खाली रेलवे के टाइम टेबल को याद कर लें इससे सफर नहीं पूरा हो जायेगा। वो तो अलग चीज है, वो तो करना पड़ेगा। तुमको रोटी बनाने का अभ्यास हो गया है। लेकिन बनाओ, खाओ, तब तो पेट भरेगा। खाली पढ़ा दिया स्कूल में कि ऐसे ऐसे रसगुल्ला बनता है। इससे क्या काम बनेगा। ठीक है वो भी जरूरी है।

सिद्धान्त बलिया चित्ते न कर आलस।
(गौरांग महाप्रभु)

सिद्धान्त ज्ञान में आलस्य न करो लेकिन सिद्धान्त के साथ-साथ प्रैक्टिकल साधना भी करो। सिद्धान्त पक्का हो गया तो अब साधना में अधिक समय दो। बीच-बीच में सुन लो। आज कल तो बड़ा अच्छा है, कैसिट का जमाना है। गुरुजी हों चाहे न हों, घर में कैसिट लगा दो, सुन लो। अरे बड़ा लाभ है इस अविष्कार से। दर्शन भी करो और लेक्चर भी सुन लो। बहुत से गृहस्थी लोग करने लगे हैं ये। उनके पास आधा घण्टा, पौन घण्टा है, लगा दिया बैठकर सुन लिया अपना।

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग 3, प्रश्न संख्या 28
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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