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 दान करने से कल्याण होता है, क्या इसका अर्थ यह है कि हम पुण्य कमाते हैं? जानिये, दान का फल किस प्रकार मिलता है?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 268

साधक का प्रश्न ::: दान कल्याणकारी है, इसका अर्थ क्या होता है, क्या हम पुण्य कमाते हैं?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: कल्याण शब्द के कई अर्थ होते हैं, मैंने बताया न ! एक कल्याण भगवद् विषय सम्बन्धी, इसे भी कल्याण कहते हैं। बस चार जगह हैं - नम्बर एक भगवान् सम्बन्धी, नम्बर दो सात्विक; यह मायिक है, लेकिन मायिक में बेस्ट है, और नम्बर तीन है मनुष्य लोक और नम्बर चार है नरक। तो जिसको जो चाहिए उसी बात को करे। अरे भई देखो! एक लड़की है, उसकी शादी करना है। तो लड़कियाँ आपस में बात करती हैं; एक कहती है, हमें डॉक्टर चाहिए। एक कहती है, हम इन्जीनियर चाहते हैं; कोई कहती है, हम ये चाहते हैं, वो चाहते हैं। सबकी अपनी-अपनी पसन्द है, वो अपने बाप को बताएगी ऐसा हो वो लड़का। तो जिसको माया निवृत्ति की चाह हो, भगवान् की चाह हो, वह भगवान् के निमित्त सब करे। और जिसको स्वर्ग जाने की या देखने की चाह हो, तो उसका पुरुषार्थ  करे। तो जिसके निमित्त होगा कोई भी साधन, तो उसी का फल मिलेगा।

यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।
(गीता 9-25)

अर्जुन से भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा - जो देवताओं की भक्ति करेंगे, स्वर्ग जायेंगे और जो पितरों की भक्ति करेंगे, वे पितृ लोक को जायेंगे। ऐसे ही जो मनुष्यों की भक्ति करेंगे वो उनके साथ जायेंगे। जो मेरी भक्ति करेंगे वे मुझको प्राप्त होंगे, सीधा सा गणित है। किसी की चार लड़कियाँ हैं - चार लड़कों से विवाह कर दिया, चारों एम. ए. हैं। एक आई. ए. एस. में आ गया वो कलेक्टर हो गया, उसकी बीबी कलेक्टर की बीबी हो गई। एक नहीं आया, वह क्लर्क हुआ तो उसकी बीबी बबुआइन हो गई, एक फटीचर हालत में रहा, कहीं सर्विस नहीं मिली भिखारी हो गया तो उसकी बीबी भिखारिन हो गई। तो जहाँ मन का अटैचमेन्ट होगा, उसी का फल मिल जाएगा।

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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