ब्रेकिंग न्यूज़

 आज है मदर्स-डे, जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी विरचित एक पद द्वारा आइये करें अपनी सनातन माँ श्रीराधारानी का स्मरण!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 279

'मदर्स-डे' (9 मई) की हार्दिक शुभकामनायें!!
(जगज्जननी श्रीराधारानी के पावन चरण-कमलों में बारम्बार प्रणाम)

आज मदर्स-डे पर आइये अपनी सनातन शाश्वत माँ श्रीराधारानी के गुणों का स्मरण करें, जो हमारे हृदय को भयमुक्त करने वाले हैं। वेद-शास्त्र में यह सत्य उद्घोषित है कि हम सभी उन्हीं की संतान हैं। वे हमारी पालनहार, रखवार आदि सब हैं। मदर्स-डे पर उनका स्मरण करते हुये करुण-क्रन्दन पूर्वक रोकर उनसे प्रेम, कृपा और उनकी सेवा प्राप्त करने की याचना करें।

निम्नांकित पद भक्तियोगरसावतार जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विरचित 'प्रेम रस मदिरा' ग्रन्थ के 'प्रकीर्ण-माधुरी' खण्ड से लिया गया है। 'प्रेम रस मदिरा' ग्रन्थ में आचार्य श्री ने कुल 21-माधुरियों (सद्गुरु, आरती, सिद्धान्त, दैन्य, धाम, श्रीकृष्ण, श्रीराधा, मान, निकुंज, मिलन, मुरली, महासखी, प्रेम, विरह, रसिया, होरी माधुरी आदि) में 1008-पदों की रचना की है, जो कि भगवत्प्रेमपिपासु साधक के लिये अमूल्य निधि ही है। इसी ग्रन्थ का यह पद है, जिसमें श्रीराधारानी के गुणों का वर्णन है। आइये हम इसके प्रत्येक शब्द पर गंभीर विचार करते हुये लाभ प्राप्त करें ::::

श्री राधे हमारी सरकार, फिकिर मोहिं काहे की ।

हित अधम उधारन देह धरें,
बिनु कारन दीनन नेह करें,
जब ऐसी दया दरबार, फिकिर मोहिं काहे की ।

टुक निज-जन क्रन्दन सुनि पावें,
तजि श्यामहुँ निज जन पहँ धावें,
जब ऐसी सरल सुकुमार, फिकिर मोहिं काहे की ।

भृकुटि नित तकत ब्रम्ह जाकी,
ताकी शरणाई डर काकी,
जब ऐसी हमारी रखवार, फिकिर मोहिं काहे की ।

जो आरत 'मम स्वामिनि !' भाखै,
तेहि पुतरिन सम आँखिन राखै,
जब ऐसी 'कृपालु' रिझवार, फिकिर मोहिं काहे की ।।

सरलार्थ : जब किशोरी जी हमारी स्वामिनी (एवं माँ भी) हैं तब मुझे किस बात की चिंता है? जो पतितों के उद्धार के लिए ही अवतार लेती हैं एवं अकारण ही दीनों से प्रेम करती हैं. जब हमारी स्वामिनी के दरबार में इतनी अपार दया है, तब मुझे किस बात की चिंता है? हमारी स्वामिनी जी अपने शरणागतों की थोड़ी भी करुण पुकार सुनते ही अपने प्राणेश्वर श्यामसुन्दर को भी छोड़कर अपने जन के पास तत्क्षण अपनी सुधि बुधि भूलकर दौड़ आती हैं. जब हमारी किशोरी जी इतनी सुकुमार और सरल स्वभाव की हैं, तब मुझे किस बात की चिंता है? ब्रम्ह श्रीकृष्ण भी जिनकी भौंहे देखते रहते हैं अर्थात् प्यारे श्यामसुन्दर भी जिनके संकेत से चलते हैं, उनकी शरण में जाकर फिर किसका भय है? जब ऐसी स्वामिनी जी हमारी रक्षा करने वाली हैं, तब मुझे किस बात की चिंता है? जो शरणागत होकर आर्त होकर दृढ़ निश्चयपूर्वक 'मेरी स्वामिनी जी !' ऐसा कह देता है, उसे स्वामिनी जी अपनी आँखों की पुतली के समान रखती हैं. 'श्री कृपालु जी' कहते हैं कि जब हमारी स्वामिनी जी शरणागत से इतना प्यार करती हैं तब मुझे किस बात की चिंता है?

०० सन्दर्भ ग्रन्थ ::: प्रेम रस मदिरा, प्रकीर्ण माधुरी, पद संख्या 21
०० रचयिता ::: जगद्गुरुत्तम् स्वामी श्री कृपालु जी महाराज
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english