जैसे संसार में एक-एक पैसा जोड़ने/बचाने की व्याकुलता से करोड़पति होते हैं, ऐसे ही आध्यात्मिक उत्थान का भी सोचो!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 368
(भूमिका - अपना उत्थान-पतन स्वयं अपने हाथ में है, संसार का यह दृष्टांत आध्यात्मिक उत्थान के लिये सहायक होगा, आइये जानें वह क्या है?..)
..आलस्य, लापरवाही, दूसरे में दोष देखना, परनिन्दा सुनना - ये सब गड़बड़ी जो हम करते हैं, इसको बन्द करके कमाने-कमाने (आध्यात्मिक कमाई) की बात सोचो।
सावधान होकर के कमाई पर ध्यान दो। गँवाना न पड़े। बचे रहो। कम से कम खर्चा करो तब लखपति, करोड़पति बनोगे। कम से कम संसार में व्यवहार करो और गलत व्यवहार तो होने ही मत दो। अहंकार बढ़ेगा, दीनता छिन जायेगी, भक्ति समाप्त हो जायेगी, मन गन्दा हो जायेगा। क्या करेगा गुरु? भगवान् अन्दर बैठे हैं। क्या करेंगे? जब हम ही नहीं सँभलेंगे तो कोई क्या करेगा? अतः आप लोगों को स्वयं समझ लेना चाहिये हमारा उत्थान-पतन कहाँ है? और आगे के लिये भी सावधान रहना चाहिये।
कथावाचक लोग कहते हैं एक सेठ जी रात को हिसाब कर रहे थे दिन भर की कमाई का तो वो हिसाब बैठ नहीं रहा था, उसमें देर हो गई। तो बार-बार खाना खाने के लिये नौकरानी जाये कि सेठानी जी बैठी हैं खाने के लिये, चलो सेठजी खाना खा लो। अरे चलते हैं भई! हिसाब नहीं बैठ रहा है। फिर हिसाब करें, फिर हिसाब करें, बस बारह बज गये। तो सेठानी ने कहा ऐसा करो कि थोड़ी सी खीर ले जाओ, मुँह में लगा दो उनके। फिर जब मीठा लगेगा तब याद आयेगी खाना खाना चाहिये। तो नौकर गया उसने सेठ के मुँह में थोड़ी सी खीर लगा दिया, उन्होंने चाटा खीर को और जाकर हाथ धो लिया, मतलब खा चुके। जाओ जाओ, तुम लोग जाओ, हमारा हिसाब नहीं ठीक हो रहा है। ऐसे वो लोभी व्यक्ति लखपति, करोड़पति बनता है।
ऐसे ही क्षण-क्षण हरि गुरु का चिन्तन करना है। उनके लिये तन-मन-धन से सेवा करने की प्लानिंग प्रैक्टिस ये असली कमाई है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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